
मुस्लिम पारिवारिक कानून पर क्या सोचती हैं मुस्लिम महिलाएं...इस विषय पर एक गैरसरकारी संस्था भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने देश में 4710 मुस्लिम महिलाओं की राय जानी.
शादी, तलाक, एक से ज्यादा शादी, घरेलू हिंसा और शरिया अदालतों पर महिलाओं ने खुलकर अपनी राय रखी. राय रखने वाली 73 फीसदी महिलाएं गरीब तबके से थीं, जिनकी सालाना आय 50 हजार रुपये से भी कम है. सर्वें में शामिल 55 फीसदी औरतों की शादी 18 साल से कम उम्र में हुई और 44 फीसदी महिलाओं के पास अपना निकाहनामा तक नहीं है.
सर्वे के मुताबिक:
- 53.2 फीसदी मुस्लिम महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हैं.
- 75 फीसदी औरतें चाहती थीं कि लड़की की शादी की उम्र 18 से ऊपर हो और लड़के की 21 साल से ऊपर.
- सर्वे में शामिल 40 फीसदी औरतों को 1000 से भी कम मेहर मिली, जबकि 44 फीसदी को तो मेहर की रकम मिली ही नहीं.
- सर्वे में शामिल 525 तलाकशुदा महिलाओं में से 65.9 फीसदी का जुबानी तलाक हुआ. 78 फीसदी का एकतरफा तरीके से तलाक हुआ.
- 88.3 फीसदी औरतें चाहती हैं कि तलाक-ए-अहसान तलाक का कानूनन तरीका हो, जो 90 दिनों की प्रक्रिया हो और जिसके दौरान बातचीत हो और मनमर्जी पर नियंत्रण हो.
- 83.3 फीसदी औरतों को लगता है कि मुस्लिम कानून लागू हो, तो उनकी पारिवारिक समस्याएं हल हो सकती हैं और सरकार को इसके लिए कदम उठाना चाहिए.
- 90 फीसदी औरतें चाहती हैं कि एक कानूनी सिस्टम के जरिए काजियों पर नियंत्रण रखा जाए.
सर्वे महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, बिहार, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा में किया गया. जिस संस्था ने ये सर्वे कराया है, वह चाहती है कि कुरान पर आधारित एक कानून हो, ताकि मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बेहतर हो सके.