Advertisement

What is Referendum: ममता बनर्जी की CAA पर जनमत संग्रह की मांग कितनी जायज?

What is Referendum? जनमत संग्रह (रेफरेंडम) यानी रायशुमारी. मतलब लोगों की राय लेना. हाल ही में देखा गया था कि इंग्लैंड ने यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए लोगों से रायशुमारी की थी. लोग अपनी सहमति या असहमति व्यक्त करके राय व्यक्त करते हैं. ममता बनर्जी भी नए नागरिकता कानून पर ऐसी रायशुमारी की मांग कर रही हैं.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो-PTI) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो-PTI)
वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:08 PM IST

  • विश्लेषक नागरिकता मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण को उचित नहीं मानते
  • राज्यपाल ने ममता बनर्जी से रेफरेंडम की मांग वापस लेने की मांग की

जनमत संग्रह क्या है? ममता बनर्जी की नए नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) पर Referendum की मांग को करके इसे चर्चा में ला दिया है. इन दोनों मामलों पर देशभर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. दिल्ली में लाल किला क्षेत्र के आसपास लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए गुरुवार को सैकड़ों लोगों ने विरोध में मार्च निकालने की कोशिश की जिसके बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कोलकाता में तल्ख तेवर दिखाए.

Advertisement

तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा था कि अगर बीजेपी में हिम्मत है तो वह सीएए और एनआरसी पर संयुक्त राष्ट्र (UN) की निगरानी में जनमत संग्रह कराए. ममता बनर्जी ने कहा कि जनमत संग्रह के बाद देखते हैं कि कौन जीतता है. केंद्र की मोदी सरकार को चुनौती देते हुए ममता ने आगे कहा कि अगर तुम हारते हो तो तुम्हें इस्तीफा देकर जाना होगा.

इस बीच, बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी पर संयुक्त राष्ट्र से जनमत संग्रह कराने वाले बयान को वापस लेने का आग्रह किया है. राज्यपाल धनखड़ ने ट्वीट कर कहा कि देश के नागरिक के रूप में वे बनर्जी के बयान से काफी दुखी और आहत हैं. उन्होंने कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि मुख्यमंत्री उनके अनुरोध पर निश्चित रूप से ध्यान देंगी क्योंकि राष्ट्रवाद से किसी को भी समझौता नहीं करना चाहिए.

Advertisement
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने अपने ट्वीट में लिखा, मैं सीएम ममता बनर्जी से अपील करता हूं कि कृपया अपने बयान को वापस लें. संयुक्त राष्ट्र या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग निष्पक्ष संगठन है और ममता बनर्जी को चाहिए कि वे यह कहें कि कितने लोग इसके पक्ष में हैं और कितने विपक्ष में हैं यह जनमत हो. हमें कभी भी अपने राष्ट्रवाद से समझौता नहीं करना चाहिए. राष्ट्र सर्वोपरि है और हमें यकीन है कि सीएम ममता बनर्जी मेरे विनम्र अनुरोध पर ध्यान देंगी और अपने बयान को वापस लेंगी.

कितना उचित है ममता की रेफरेंडम की मांग

बहरहाल, जनमत संग्रह (रेफरेंडम) यानी रायशुमारी. मतलब लोगों की राय लेना. हाल ही में देखा गया था कि इंग्लैंड ने यूरोपीय संघ से अलग होने (ब्रेक्जिट) के लिए लोगों की रायशुमारी की थी. लोग अपनी सहमति या असहमति व्यक्त करके राय व्यक्त करते हैं. ममता बनर्जी भी नागरिकता के मुद्दे पर ऐसी रायशुमारी की मांग कर रही हैं.

सवाल है कि ममता बनर्जी का नागरिकता के मुद्दे पर भारत में जनमत संग्रह कराये जाने की मांग करना कितना उचित है. राजनीतिक विश्लेषक और एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा में अस्सिटेंट प्रोफेसर श्रीश पाठक इस मामले पर ममता बनर्जी की मांग से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. श्रीश पाठक कहते हैं, 'ममता बनर्जी उत्साह में असाधारण बात कह रही हैं. उनकी यह बात संप्रुभता के खिलाफ है. यह हमारा अंदरूनी मामला है. उन्हें एक मुख्यमंत्री के तौर पर कभी ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए.'

Advertisement

इस सवाल पर कि क्या संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में रेफरेंडम हो सकता है? श्रीश पाठक कहते हैं कि यह मुमकिन हो सकता है, लेकिन सवाल है कि हम इस मु्द्दे को वहां ले ही क्यों जाएंगे. हमें इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं करना चाहिए बल्कि ममता बनर्जी को यह मांग करनी चाहिए कि इस मसले पर सभी राज्यों की तुरंत बैठक बुलाई जाए. श्रीश पाठक कहते हैं कि यह एक जायज मांग इस मौके पर इसलिए भी नहीं है क्योंकि जनता में अभी इसे लेकर किसी प्रकार की जागरूकता नहीं है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement