
लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर मेजबान इंग्लैंड पहली बार विश्व विजेता बनने में सफल जरूर रहा, मगर किस्तम के दम पर. आईसीसी के 'अजीब नियम' के चलते उसे किस्मत का साथ मिला. जिससे आईसीसी के रूल्स पर सवाल उठ खड़े हुए हैं. इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच विश्व कप के फाइनल मुकाबले में 50-50 ओवरों का मैच बराबरी पर छूटा और इसके बाद सुपर ओवर भी टाई हो गया. मगर बाद में जीत-हार का फैसला मैच के दौरान सबसे ज्यादा बाउंड्री लगाने के आधार पर हुआ. इस पैमाने पर इंग्लैंड न्यूजीलैंड पर भारी पड़ा.
आइए जानते हैं, क्या है सुपर ओवर को लेकर बनाया गया नियम, जिसके चलते न्यूजीलैंड को इंग्लैंड के हाथों विश्व कप गंवाना पड़ा. बता दें कि टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूजीलैंड ने आठ विकेट पर 241 रन बनाए थे. जवाब में खेलने उतरी इंग्लैंड की पूरी टीम इसी स्कोर (241 रन) पर ऑल आउट हो गई और मैच टाई हो गया. मगर आईसीसी के नियम ने इंग्लैंड को विश्व चैंपियन बना दिया.
क्यों होता है सुपर ओवर
अगर निर्धारित 50-50 ओवर्स में मैच बराबरी पर रहता है तो मैच के परिणाम के लिए आईसीसी ने सुपर ओवर का नियम बना रखा है. निर्धारित ओवर्स के खेल के बाद एक ओवर का सुपर ओवर मुकाबला होता है. अगर इसमें भी मुकाबला बराबरी पर रहता है तो फिर वह टीम विजेता घोषित होती है, जिसने अपनी पारी के दौरान सबसे ज्यादा बाउंड्री लगाई होती है. विश्व कप के फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड की टीम ने 26 बाउंड्री लगाई. वहीं, न्यूजीलैंड की टीम पूरे मैच में 17 बाउंड्री ही लगा पाई. इन बाउंड्री में 50 ओवर के साथ सुपर ओवर में लगाई गई बाउंड्री भी गिनी गई. इस प्रकार इंग्लैंड जीतने में सफल रहा.
ये है नियम
मैच के परिणाम के लिए जब सुपर ओवर का फॉर्मूला लागू होता है तो मैच के दौरान जो टीम बाद में बैटिंग करती है तो उसे पहले खेलने का मौका मिलता है. छह गेंद के मुकाबले पर जीत-हार टिकी होती है. इसमें दो विकेट गिरने पर ही टीम की पारी खत्म मानी जाती है. जब सुपर ओवर से भी दोनों टीमों के रन बराबर होते हैं तो फिर सुपर ओवर का दूसरा मौका नहीं मिलता. इसके बाद बाउंड्री के आधार पर ही किसी टीम की जीत-हार का फैसला होता है.