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क्या है भारत-नेपाल मैत्री संधि, जिसने दोनों देशों के बीच खोल दी सरहद

भारत नेपाल संधि के दो पहलू हैं. एक पहलू में भारत के हित और उसकी सुरक्षा का खयाल रखा गया है. वहीं दूसरा पहलू नेपाल के हितों का है. जानें- क्या है भारत-नेपाल मैत्री संध‍ि.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 मई 2020,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST

भारत के कुछ भूभाग को समेट‌कर नया नक्शा प्रकाशित करने के बाद राजनीतिक-कूटनीतिक संबंधों में आई दरार के बीच नेपाल ने एक कदम पीछे हटाया है. बता दें कि नेपाल सरकार ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी शामिल किया गया है.

नेपाल कैबिनेट की बैठक में भूमि संसाधन मंत्रालय ने नेपाल का यह संशोधित नक्शा जारी किया था. इसका बैठक में मौजूद कैबिनेट सदस्यों ने समर्थन किया था. आइए- नेपाल भारत मैत्री संध‍ि के बारे में जानते हैं.

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अगर भारत नेपाल संध‍ि की बात करें तो इस संध‍ि के अनुसार बड़ी संख्या में आने वाले नेपाली भारत में प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं. वो यहां नौकरी या व्यापार कर सकते हैं. यही नहीं वे ऊंचे पदों पर भी पहुंच सकते हैं. लेकिन वे यहां प्रशासनिक पदों जैसे आईएएस या आईएफएस अफसर नहीं बन सकते. न ही यहां चुनाव लड़ सकते हैं.

भारतीयों को हक नहीं

संधि में कहा गया है कि जो हक नेपालियों को भारत में मिले वही भारतीयों को भी नेपाल में भी मिले. लेकिन नेपाल में ये हक भारतीयों को नहीं मिलता. इसलिए संधि में अक्सर जिस समानता के आधार की बात होती है वह एकतरफा है. संधि में ये भी कहा गया है कि विकास के कार्यों में भारत-नेपाल को प्राथमिकता दे.

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नेपाल के साथ भारत की संसाधन विकास की जो संधियां हुई हैं, उन्हें संसद में दो-तिहाई बहुमत से मंजूरी मिलनी चाहिए जो वहां कभी नहीं मिलती है. इसके अलावा नेपाली आसानी से भारत में आ सकता है इसलिए ये खतरा भी रहता है कि कई बार पाकिस्तानी नेपाल के रास्ते बिना वीजा के भारत में आ जाते हैं.

अगर उन्होंने फर्जी नेपाली पहचान पत्र हासिल कर लिया तो पासपोर्ट बनाने की जरूरत नहीं पड़ती. वे कह सकते हैं कि हम नेपाली हैं. भारतीय सुरक्षा बल आरोप लगाते रहे हैं कि नेपाल से जाली मुद्रा भारत आ रही है. अगर चीन का प्रभाव तराई में बढ़ेगा तो भारत को यह डर रहेगा कि नक्सलवादी या आतंकवादी जब चाहे चीन पहुंच सकता है. भारत को दोनों देशों के विकास को साथ लेकर चलने की पहल करनी चाहिए, जिसके स्पष्ट संकेत प्रधानमंत्री मोदी ने दिए हैं.

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बिजली, सड़क जोड़ना, व्यापार के मामलों में दोनों देश एक-दूसरे के सहयोग के बिना आगे नहीं बढ़ सकते. नेपालियों को यह शिकायत है कि वे जो हथियार खरीदते हैं, उन्हें संध‍ि के अनुसार इसके लिए भारत से पूछना पड़ता है.

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संधि में लिखा हुआ है कि नेपाल एक संप्रभु राष्ट्र है. इसके साथ ही उसमें लिखा है कि अगर किसी तीसरे राज्य से कोई खतरा होता है तो दोनों देश आपस में सलाह करेंगे

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