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यूनिफॉर्म सिविल कोड पर हो रहा है हल्ला, जानें क्या है ये...

यूनिफॉर्म सिविल कोड और ट्रिपल तलाक का मामला फिर से सुर्खियों में है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसका विरोध कर रहा है. यहां लें इस कोड के बारे में पूरी जानकारी...

Uniform Civil Code Uniform Civil Code
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 5:22 PM IST

यूनिफॉर्म सिविल कोड अर्थात (समान नागरिक संहिता) का अर्थ एक पंथनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है. यह किसी राज्य-राष्ट्र में रह रहे सभी धर्म के लोगों पर समान रूप से लागू होता है.

दूसरे शब्दों में कहे तो अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग 'सिविल कानून' न होना ही 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' की मूल भावना है. यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है.

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दुनिया के अधिकतर आधुनिक देशों में ऐसे कानून लागू हैं. इन देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, इंडोनेशिया और तुर्की जैसे देश भी शामिल हैं.

यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत

  • व्यक्तिगत स्तर
  • संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन का अधिकार
  • विवाह, तलाक और गोद लेना

यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत के संबंध में है, जहां भारत का संविधान राज्य के नीति निर्देशक तत्व में सभी नागरिकों को समान नागरिकता कानून सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करता है. हालांकि हमारे देश में अलग-अलग पर्सनल लॉ होने की वजह से यह कानून अभी तक लागू नहीं हो सका है.

यहां आज भी मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम महिला को तीन बार तलाक कह कर विवाह विच्छेद किया जा सकता है. इसे लेकर समाज के अलग-अलग हिस्से में भारी असंतोष रहा है. साथ ही मुस्लिम महिलाओं का भी विरोध रहा है.

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व्यक्तिगत कानून
भारत में अधिकांश पर्सनल लॉ धर्म के आधार पर तय किए गए हैं. हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध हिन्दू विधि के अंतर्गत आते हैं. वहीं मुस्लिम और ईसाई धर्म के अपने कानून हैं. मुस्लिमों के कानून शरीयत पर आधारित है. अन्य धार्मिक समुदाओं के कानून भारतीय संसद के संविधान पर ही आधारित हैं.

भारतीय संविधान और यूनिफॉर्म सिविल कोड
यूनिफॉर्म सिविल कोड का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग 4 के आर्टिकल 44 में हैं. इसमें नीति-निर्देश है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून लागू करना ही हमारा लक्ष्य होगा. सुप्रीम कोर्ट भी कई बार इसे लागू करने की दिशा में केन्द्र सरकार के विचार जानने की पहल कर चुका है. इसके अलावा कोर्ट कहती रही है, 'देश में अलग अलग पर्सनल लॉ की वजह से भ्रम की स्थिति बनी रहती है. सरकार चाहे तो एक जैसा कानून बनाकर इसे दूर कर सकती है. क्या सरकार ऐसा करेगी ? अगर आप ऐसा चाहते हैं तो आपको ऐसा कर देना चाहिए.'

ये भी जानें:-

  • इस कानून को लागू करने की कोशिशें आजादी से पहली भी हुई थीं. हालांकि विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के विरोध के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
  • शाहबानो मामले में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड और ट्रिपल तलाक मामले पर खासा विवाद हुआ था. इस पर कांग्रेस पार्टी के रुख को अब तक उद्धरित किया जाता है.
  • भारत का इकलौता राज्य गोवा यूनिफॉर्म सिविल कोड का पालन करता है. इसे वहां गोवा फैमिली लॉ कहते हैं.

क्या कहता है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड?
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) भारत के लिए सही नहीं है और संविधान भारतीय नागरिकों को मजहब की आजादी देता है. इस बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी वली रहमानी ने नई दिल्ली में गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''यूनिफॉर्म सिविल कोड इस देश के लिए अच्छा नहीं है. इस देश में कई संस्कृतियां हैं जिनका सम्मान किया जाना चाहिए.''

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