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YES BANK: 50,000 की लिमिट लेकिन इमरजेंसी में इतने पैसे निकाल सकते हैं खाताधारक

बीते गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यस बैंक पर एक महीने के लिए पाबंदी लगा दी है. इस वजह से ग्राहकों में एक भय का माहौल है.

यस बैंक पर आरबीआई ने लगाई है पाबंदी यस बैंक पर आरबीआई ने लगाई है पाबंदी
दीपक कुमार
  • नई दिल्‍ली,
  • 06 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST

  • यस बैंक के ग्राहकों के लिए 50 हजार निकालने की सीमा तय
  • रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने यस बैंक के बोर्ड को भी किया भंग

बीते गुरुवार को यस बैंक पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बड़ी कार्रवाई की है. इसके तहत बैंक के ग्राहकों के लिए 50 हजार रुपये निकालने की सीमा तय कर दी गई है. यानी ग्राहक अपने सेविंग्स, करंट और अन्य अकाउंट से एक महीने में खाते से सिर्फ 50 हजार रुपये ही निकाल सकेंगे.

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इसके अलावा यस बैंक के बोर्ड को भी आरबीआई ने भंग कर दिया है. बैंक के लिए एक प्रशासक की भी नियुक्ति की गई है. ऐसे में सवाल है कि यस बैंक के ग्राहक इमरजेंसी की स्थिति में क्‍या करेंगे? आइए जानते हैं इसका जवाब....

5 लाख रुपये तक की छूट

दरअसल, इमरजेंसी के लिए आरबीआई ने थोड़ी राहत दी है. यस बैंक के ग्राह‍क मेडिकल इमरजेंसी, शादी और एजुकेशन फीस जैसी जरूरतों के लिए 5 लाख रुपये तक निकाल सकते हैं. हालांकि, इसके लिए ठोस सबूत भी देना होगा. मतलब ये कि अगर आप कैश निकालने बैंक जाते हैं तो, सबूत के साथ जाना होगा.

ऑनलाइन ट्रांजैक्‍शन कर सकते हैं?

आरबीआई की ओर से यस बैंक के नेटबैंकिंग या मोबाइलन बैंकिंग को लेकर कोई नई गाइडलाइन नहीं जारी की गई है. ऐसे में आप तय लिमिट के साथ पहले की तरह ऑनलाइन ट्रांजैक्‍शन कर सकते हैं. हालांकि, गुरुवार को यस बैंक पर कार्रवाई के बाद ट्रैफिक की वजह से ऑनलाइन बैंकिंग ठप हो गई थी. रुक-रुक कर ऑनलाइन बैंकिंग में कई तरह की समस्‍याएं आ रही हैं लेकिन यह आरबीआई की सख्‍ती का हिस्‍सा नहीं है.

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क्‍या है मामला?

दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे यस बैंक पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया है. इसके अलावा बैंक के जमाकर्ताओं के लिए 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की है. बैंक के लिए एक प्रशासक की भी नियुक्ति की गई है.

ये भी पढ़ें- YES BANK ने डिफॉल्टर कंपनियों को कहा 'YES' और खुद फंस गया संकट में

रिजर्व बैंक ने कहा कि केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना के अभाव, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसके सामने बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत रोक लगाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है.

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