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J-K: व्‍हाट्सएप पर है ग्रुप तो 10 दिन में कराना होगा रजिस्‍ट्रेशन, वर्ना...

आदेश में रजिस्ट्रेशन न कराए जाने पर ग्रुप एडमिंस के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. जिसके तहत, एडमिंस पर इंफॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी (आईटी) एक्‍ट, रणबीर पीनल कोड, साइबर क्राइम कानून के अलावा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत कार्रवाई की जा सकती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अजीत तिवारी
  • श्रीनगर,
  • 01 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

जम्मू कश्मीर में तनाव को कम करने और अफवाहों पर लगाम कसने के उद्देश्य से किश्तवाड़ के जिलाधिकारी ने व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिंस के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. जिलाधिकारी अंग्रेज सिंह राणा के आदेश के अनुसार ग्रुप के एडमिंस को 10 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन कराने को कहा गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आदेश में रजिस्ट्रेशन न कराए जाने पर ग्रुप एडमिंस के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. जिसके तहत, एडमिंस पर इंफॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी (आईटी) एक्‍ट, रणबीर पीनल कोड, साइबर क्राइम कानून के अलावा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत कार्रवाई की जा सकती है.

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बता दें कि किश्‍तवाड़ एसएसपी अबरार चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में सोशल मीडिया पर इलाके में अफवाह फैलाने की बात कही थी, जिसके बाद जिलाधिकारी राणा ने आदेश जारी किया है. चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में कई व्हाट्एप ग्रुप पर आरोप लगाया था कि ये अफवाहें, गलत जानकारी और भ्रम पैदा करने वाली बातें फैला रहे हैं.

'अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता पर रोक नहीं, सावधानी के लिए जारी किया आदेश'

जिलाधिकारी ने कहा कि अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता के तहत सोशल मीडिया पर अपनी बातें रखी जा सकती हैं, लेकिन इसके साथ ही कुछ जिम्मेदारी और बंधन भी होते हैं. लोगों को और व्हाट्सएप ग्रुप एडमिंस को इस जिम्मेदारी से भागना नहीं चाहिए बल्कि इसके लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.

साथ ही उन्होंने आपत्तिजनक चीजें पोस्ट करने वाले लोगों को चेताते हुए कहा कि उनका यह आदेश अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता पर रोक लगाने के लिए नहीं बल्कि ग्रुप एडमिंस को सचेत करने के लिए है. ताकि किसी आपत्तिजनक कंटेंट पर समय रहते कार्रवाई की जा सके या फिर ऐसे कंटेंट पर रोक लगाई जा सके.

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'फैलाई जा रही थीं अफवाहें'

किश्‍तवाड़ को एक 'संवेदनशील इलाका' बताते हुए उन्होंने 'द संडे एक्‍सप्रेस' को बताया कि सोशल मीडिया, खासकर व्‍हाट्सएप ग्रुप पर कई प्रकार की अफवाहें और आपत्तिजनक कंटेंट फैलाया गया जिससे वहां के लोगों के बीच तनाव उत्पन्न हो रहा था. किश्तवाड़ जम्मू कश्मीर में सबसे कम जनसंख्या वाले जिलों में कारगिल और लेह के बाद तीसरे नंबर पर आता है.

राणा द्वारा जारी आदेश के अनुसार ग्रुप एडमिंस को देश-विदेश में रहने वाले सभी ग्रुप सदस्यों की जानकारी दर्ज करानी होगी. साथ ही अगर किसी ग्रुप कंटेंट पर सवाल खड़ा होता है या फिर पुलिस पूछताछ के लिए बुलाती है तो उन्हें उपस्थित होना पड़ेगा. ग्रुप का कोई सदस्य अगर किसी प्रकार की आपत्तिजनक पोस्ट करता है तो उसकी जानकारी ग्रुप एडमिंस अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में दे सकता है.

कानून का उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई

जिलाधिकारी ने अपने आदेश में ग्रुप एडमिंस को सभी प्रकार की जानकारी (पोस्ट, वीडियो, ऑडियो) को सबूत के तौर पर रखना होगा. साथ ही रजिस्ट्रेशन के दौरान ग्रुप एडमिंस को यह लिखित में यह देना होगा कि अगर वो कानून का उल्लंघन करते पाए गए तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया का सामना करना होगा. साथ ही उनका पेज और ग्रुप बंद कर दिया जाएगा.

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चौधरी ने हालात की जानकारी देते हुए बताया था कि उन्होंने कई बार ऐसी चीजों को देखा जिसमें व्हाट्सएप ग्रुप पर बंदूकधारी आतंकियों की तस्‍वीरों के साथ-साथ भारत विरोधी प्रदर्शनों के वीडियो को सोशल मीडिया पर तेजी से डाला जा रहा था. इसकी जांच होनी चाहिए थी.

गौर हो कि 16 जून को, ईद जुलूस के दौरान 'आज़ादी ' के नारे की अफवाहें फैलाई गईं जिसके बाद किश्तवाड़ के पूरी इलाके में तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई. हालांकि पुलिस ने तेजी दिखाई और दावों को खारिज करते हुए पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी थी. साल 2013 में भी सोशल मीडिया पर ईद के दौरान पाकिस्तान संबंधी नारों की अफवाहें फैलाई गईं थीं, जिसके बाद पूरे इलाके में हिंसा फैल गई थी. इसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी वहीं कई लोग घायल हुए थे.

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