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जब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा, इतने प्रदूषण में कोई योग कैसे कर सकता है...

'इतने प्रदूषण में कोई योग कैसे कर सकता है', ये सवाल सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने पूछा है. दरअसल ये सवाल उस वकील के लिए था, जो सुप्रीम कोर्ट में मांग कर रहे थे कि स्कूलों में योग की शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाए.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
मेधा चावला
  • नई दिल्‍ली,
  • 07 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:43 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आज उस जनहित याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया, जिसमें योग को देश के सभी स्कूलों में अनिवार्य करने की अपील की गई थी. इस याचिका में कहा गया था कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को स्‍कूल में योग कराया जाना चाहिए.

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, 'यह तय करना सरकार का काम है कि स्कूलों में क्या सिखाया जाए या क्‍या नहीं. ये काम अदालत का नहीं है. कोई योग करना चाहता है तो वो कर सकता है'.

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स्कूलों में योग अनिवार्य बनाने के लिए SC में याचिका, 7 नवंबर को सुनवाई

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर ने चुटकी लेते हुए कहा, 'ऐसे प्रदूषण में कोई योग कैसे कर सकता है'? याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील एम एन कृष्णमणि से टीएस ठाकुर ने पूछा, 'आपने आखिरी बार कब योग किया था'. कृष्णमणि ने जब इस पर कोई जवाब नहीं दिया तो चीफ जस्टिस ने कहा, ' शायद आप सिर्फ शवासन करते हैं'.

बता दें कि इस याचिका में कहा गया है कि HRD, NCERT, NCTE और CBSE को कोर्ट निर्देश दे कि वे कक्षा 1-8 तक के छात्रों के लिए योगाभ्यास और स्वास्थ्य शिक्षा के लिए पुस्तक तैयार करें. और इन्‍हें पढ़ना अनिवार्य हो.

दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दाखिल याचिका में योग को 'सेकुलर' बताते हुए स्कूली पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय बनाने की मांग की गई है. याचिका में साथ ही कहा गया है कि 'स्वास्थ्य का अधिकार' को 'जीवन के अधिकार' का ही अभिन्न हिस्सा माना जाना चाहिए.

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