
केन्द्रीय सरकार के वार्षिक बजट में आम आदमी के लिए रुपये-पैसे से सीधे तौर पर जुड़ा मुद्दा इनकम टैक्स है. वहीं, जब अंतरिम बजट ही इनकम टैक्स नियमों में इतनी बड़ी राहत का ऐलान कर दे जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती तो आम आदमी का उत्साह शीर्ष पर पहुंचना स्वाभाविक है. और चढ़ते उत्साह का सेंसेक्स की तरह औंधे मुंह गिर जाने से अंतरिम होना भी स्वाभाविक है.
केन्द्र की मोदी सरकार ने परंपराओं को पीछे छोड़ते हुए संसद में अपना अंतरिम बजट पेश किया और इनकम टैक्स नियमों में बड़े बदलाव का ऐलान किया. वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 5 लाख तक वार्षिक आय वालों को इनकम टैक्स से मुक्त कर दिया. इस ऐलान को बजट स्पीच में गोयल ने 5 लाख रुपये की टैक्सेबल इनकम को टैक्स फ्री पढ़ा. ऐसा स्पीच में भी लिखा है. संसद में हुए इस ऐलान के बाद सोशल मीडिया समेत मीडिया ने अपना ऐलान कर दिया कि मिडिल क्लास को बड़ी राहत और 5 लाख रुपये तक वार्षिक इनकम के टैक्स स्लैब को टैक्स फ्री कर दिया गया है.
जैसा आम आदमी ने समझा या फिर टेलीविजन और वेबसाइट पर दिखाया गया, उस हिसाब से नौकरी पेशा और छोटे-मध्यम कारोबारी के लिए यह बहुत बड़ी राहत थी. क्योंकि जैसा कहा और लिखा गया वह 10 लाख, 15 लाख और 20 लाख रुपये तक की वार्षिक आय के करदाताओं के लिए बड़ी राहत साबित होती. उनकी कुल आय में 5 लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं लगता.
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जैसे ही वित्त मंत्री ने 5 लाख तक आय वालों को टैक्स रीबेट में राहत का ऐलान किया संसद में प्रधानमंत्री समेत ज्यादातर सदस्य खुशी से मेज थपथपाने लगे. खुद वित्त मंत्री दो मिनट तक अपनी स्पीच रोकने के लिए विवश हो गए और ज्यादातर सदस्य मोदी, मोदी का नारा लगाने लगे. स्वाभाविक है कि शब्दों की बारीकी समझने से चूकने और इस जश्न से लोगों ने अंदाजा लगा लिया कि चुनावों के चलते केन्द्र सरकार ने टैक्स ढांचे में बड़ा परिवर्तन करते हुए टैक्स ब्रैकेट को 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया.
इसके अलावा वित्त मंत्री ने इस ऐलान के साथ कहा कि इस प्रावधान से तीन टैक्स बैकेट में करोड़ों लोगों को फायदा मिलेगा और इसके चलते सरकारी खजाने पर 18,500 करोड़ रुपये का भार आएगा.
इस खुशी का अंदाजा इसी बात से लगता है कि वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान केन्द्र सरकार ने इनकम टैक्स की छूट सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये करने का ऐलान किया था. इसके अलावा इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी बचत सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.50 लाख रुपये और होमलोन के ब्याज पर राहत की सीमा को 1.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने का ऐलान किया था. इस ऐलान का फायदा सभी टैक्सपेयर को मिला और स्वाभाविक है कि इस बचत ने आम आदमी का उत्साह बढ़ाया था.
वहीं अंतरिम बजट में जब वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 5 लाख की टैक्सेबल इनकम को टैक्स फ्री घोषित किया तो कंफ्यूजन स्वाभाविक था. इससे पहले लोग अंतरिम बजट में शब्दों का खेल को समझते, कंफ्यूजन सोशल और न्यूज मीडिया पर व्यापक हो गया. बजट पेश करने के बाद सीधे प्रेस वार्ता पर पहुंचे पीयूष गोयल ने सबसे पहले लोगों के कंफ्यूजन को दूर करने का काम किया.
हालांकि इससे पहले आजतक चैनल पर सटीक खबर दी जा चुकी थी. इंडिया टुडे के संपादक अंशुमान तिवारी ने अपने ट्वीट के जरिए सोशल मीडिया को आगाह किया. ट्वीट में लिखा कि वित्त मंत्री ने एक्जम्पशन (Exemptions) की जगह रीबेट (Rebate) शब्द का इस्तेमाल किया है. तिवारी ने बताया कि वित्त मंत्री ने बेसिक एक्जम्पशन लिमिट में इजाफा किया है लिहाजा लोगों को उत्साह जाहिर करने से पहले फाइनेंस बिल की प्रति को देखने की जरूरत है क्योंकि बजट स्पीच में कहे गए प्रावधान का सटीक वर्णन सिर्फ बिल में मिलता है.
फाइनेंस बिल देखने के बाद जाहिर हुआ कि बजट स्पीच में रीबेट की जगह आयकर सीमा में एक्जम्पशन के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A में टैक्सपेयर को दी जा रही 2,500 रुपये के टैक्स रीबेट की सीमा को बढ़ाकर 12,500 रुपये करने के संशोधन का प्रस्ताव देने की बात है. वहीं अगली पंक्ति में लिखा गया कि टैक्स रीबेट अब 5 लाख रुपये तक की कुल आय वाले टैक्सपेयर को मिलेगा. पहले यह सीमा 3.5 लाख रुपये की कुल आय वाले टैक्सपेयर को मिलता था.