
क्या महात्मा गांधी का कोई दूसरा हत्यारा भी था? वैसे पुलिस तो इस कहानी पर भरोसा करती है कि गांधी पर तीन गोलियां चलाई गई थीं, लेकिन क्या चौथी गोली भी थी जिसे नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और ने चलाया था? ऐसे कई सवाल उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका में उठाए गए हैं.
याचिका में अनुरोध किया गया है कि नया जांच आयोग गठित करके गांधी की हत्या के पीछे की बड़ी साजिश का खुलासा किया जाए. याचिका में गांधी की हत्या की जांच के बारे में भी सवाल उठाए गए हैं जिसमें कहा गया कि क्या यह इतिहास में मामला ढकने की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है और क्या उनकी मौत के लिए विनायक दामोदर सावरकर को जिम्मेदार ठहराने का कोई आधार है या नहीं.
अभिनव भारत मुंबई के शोधार्थी और डाक्टर पंकज फडनिस की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया कि वर्ष 1966 में गठित न्यायमूर्ति जे एल कपूर जांच आयोग साजिश का पता लगाने में पूरी तरह नाकाम रहा. यह साजिश राष्ट्रपिता की हत्या के साथ पूरी हुई. फडनिस ने गोडसे और नारायण आप्टे सहित अन्य आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए विभिन्न अदालतों की ओर से सही मानी गई तीन गोलियों की कहानी पर भी सवाल उठाए हैं.
गांधी की हत्या को दोषियों को 15 नवंबर 1949 को फांसी पर लटकाया गया था जबकि सावरकर को सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ दिया गया. सावरकर से प्रेरित होकर अभिनव भारत, मुंबई की स्थापना 2001 में हुई थी और इसने सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए काम करने का दावा किया था.
फडनिस ने दावा किया कि उनका शोध और उन दिनों की खबरें बताती हैं कि गांधी को चार गोलियां मारी गई थीं और तीन और चार गोलियों के बीच अंतर अहम है क्योंकि गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को जिस पिस्तौल से महात्मा गांधी को गोली मारी थी उसमें सात गोलियों की जगह थी और बाकी की चार बिना चली गोलियां पुलिस ने बरामद की थीं.
दावे में कहा गया है कि इस हालात में यह तय है कि उस पिस्तौल से सिर्फ तीन गोलियां चलीं. उन्होंने याचिका में कहा कि गोडसे की पिस्तौल से चौथी गोली चलने की कोई संभावना नहीं है. यह दूसरे हत्यारे की बंदूक से आई. शीर्ष अदालत से गुहार लगाने के अलावा फडनिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर सावरकर के खिलाफ कपूर आयोग की ओर से की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने का अनुरोध किया है. वर्ष 2003 में संसद के सेंट्रल हाल में सावरकर का चित्र लगाया गया था. संयोग की बात है कि सावरकर का जन्म 1883 में 28 मई को हुआ था और आज उनकी 134वीं जयन्ती है.