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आख‍िर आतंकवाद के मुद्दे पर बात करने से क्यों डरता है पाकिस्तान?

कभी एक ही देश का हिस्सा रहे एशिया के दो पड़ोसी देशों भारत और पाकिस्तान के बीच फिर तनाव की स्थिति है. NSA स्तर की वार्ता रद्द हो चुकी है. पाकिस्तान इस वार्ता में कश्मीर के मुद्दे को आगे करना चाहता था जबकि भारत NSA बैठक में केवल आतंकवाद के मुद्दे पर बातचीत करना चाहता था. यहीं मामला अटक गया और आखिरकार पाकिस्तान वार्ता से पीछे हट गया. हम यहां उन कारणों को सामने रख रहे हैं जिसे लेकर पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर हमेशा भारत का सामना करने से बचता रहता है.

पाकिस्तान में आतंकी कैंपों की फाइल फोटो पाकिस्तान में आतंकी कैंपों की फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 10:20 AM IST

कभी एक ही देश का हिस्सा रहे एशिया के दो पड़ोसी देशों भारत और पाकिस्तान के बीच फिर तनाव की स्थिति है. NSA स्तर की वार्ता रद्द हो चुकी है. पाकिस्तान इस वार्ता में कश्मीर के मुद्दे को आगे करना चाहता था, जबकि भारत NSA बैठक में केवल आतंकवाद के मुद्दे पर बातचीत करना चाहता था. यहीं मामला अटक गया और आखिरकार पाकिस्तान वार्ता से पीछे हट गया. हम यहां उन कारणों को सामने रख रहे हैं, जिसे लेकर पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर हमेशा भारत का सामना करने से बचता रहता है.

1. 1947 में देश विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान कश्मीर पर दावा जताता रहा है. वर्ष 1948, 1965 और 1971 की लड़ाइयों में बुरी तरह विफल होने के बाद पाकिस्तान ने आतंकवाद का परोक्ष रास्ता अपनाया.

2. 1980 के दशक में पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंकवादी भेजने शुरू किए और कुछ कश्मीरी अलगाववादी तत्वों को अंदरूनी समर्थन कर कश्मीर में अलगाववाद की आग भड़काने की वह कोशिश करता रहा.

3. आज के वक्त में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 40 से अधिक बड़े आतंकी कैंप चल रहे हैं, जिसमें पाकिस्तान भारत विरोधी तत्वों को प्रशिक्षण देता है और सीमा पर घुसपैठ के जरिये भारत में आतंकी हमलों की साजिश तैयार करता है. इन आतंकी समूहों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का समर्थन भी हासिल है. भारत इसके सबूत कई बार दे चुका है.

4. 1993 के मुंबई धमाकों के आरोपी दाऊद इब्राहिम जैसे तत्वों को पाकिस्तान ने अपने यहां पनाह दे रखी है. भारत दाऊद के पाकिस्तान के कराची में होने के पुख्ता सबूत मुहैया कराता रहा है, लेकिन पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं है.

5. दुनिया का मोस्ट वांटेड आतंकवादी और अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही छुप कर रह रहा था और अमेरिकी अभियान में उसे मार गिराया गया. तब आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के दोहरे रवैये का सबसे बड़ा झूठ पकड़ा गया.

6. 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब जिंदा पकड़ा गया. पाकिस्तान में बैठे उसके आका हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी इस हमले को अंजाम देने के काम को संचालित कर रहे थे. भारत ने उनके खिलाफ लगातार सबूत दिए, लेकिन पाकिस्तानी सरकार और एजेंसियों ने आतंकवादियों को सजा दिलाने के लिए कुछ भी कदम नहीं उठाया.

7. जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में आतंकी हमले के दौरान जिंदा पकड़े गये पाकिस्तान आतंकी नवेद ने वहां चल रहे आतंकी कैंपों के बारे में कई खुलासे किए हैं. अगर NSA स्तर की वार्ता होती तो पाकिस्तान को इन सच्चाईयों का भी सामना करना पड़ता. इसलिए भी पाकिस्तान के लिए आतंकवाद के मामले पर भारत का सामना करना मुश्किल साबित हो रहा था. NSA वार्ता से तो उसे पीछे हटना ही था.

8. आतंकी नवेद ने बताया कि वह पाकिस्तान के फैसलाबाद का रहने वाला है. उसने बताया कि गढ़ी हबीबुल्ला के कैंप में उसने ट्रेनिंग ली जिसमें आईएसआई के अफसरों ने हमले के टिप्स दिए थे. मरकजी अक्सा शबाही नाला में भी उसे दौरा ए खास की 3 महीने की ट्रैनिंग दी गई. कई बार ISI के अफसरों ने कैंप का दौरा किया.

9. NIA की पूछताछ में पाकिस्तानी आतंकी नवेद ने खुलासा किया कि मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद दो बार उसके कैंप में आया और आतंकियों का हौसला बढ़ाता था. नवेद ने बताया कि पाकिस्तान के ट्रेनिंग कैंपों में कश्मीर के वीडियो भी दिखाए जाते थे. नवेद ने बताया कि आतंकी कैंपों में उसके अलावा 25 आतंकियों को हिंदुओं से नफरत करने और मारने के खिलाफ ट्रेनिंग दी जाती थी. ट्रेनिंग के अलावा आतंकियों को कश्मीर के वीडियो दिखाकर उत्पीड़न को लेकर आतंकियों के दिमाग में जहर भरा जाता था.

10. भारत ने NSA वार्ता में मुंबई हमलों के आरोपी लखवी के बारे में पाकिस्तानी अदालतों में जानबूझकर सबूत न देने के बारे में भी एक बड़ा नोट तैयार किया था. पाकिस्तान के लिए इन सबूतों का सामना करना मुश्किल होता.

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