
अब ऐसा भला कहां होता है कि स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट और वो भी सातवीं क्लास के स्टूडेंट प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाएं और धीरे-धीरे उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का मुद्दा देश-दुनिया की सुर्खियों में आ जाए. यह मामला महाराष्ट्र प्रांत के चंद्रपुर जिले का है और वहां के विद्या निकेतन स्कूल के दो सातवीं क्लास के स्टूडेंट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सबका ध्यान खुद की ओर आकर्षित कराया.
दरअसल, यह उनके द्वारा उठाए जा रहे स्कूल बैग का मामला है. वे रोज लगभग 5 से 8 किलोग्राम का वजन लेकर घर से स्कूल और स्कूल से घर आते-जाते हैं.
स्टूडेंट्स हैं परेशान...
स्टूडेंट्स का कहना है कि वे हर रोज 8 विषयों के लिए 16 किताबें लाते हैं. कई बार तो किताबों की संख्या 18 से 20 तक पहुंच जाती है. वे अपने बैग उठा कर तीसरे माले पर आने-जाने के क्रम में बिल्कुल थक जाते हैं.
वे आगे कहते हैं कि उन्होंने इसके बाबत स्कूल के प्रिंसिपल के पास आवेदन भी किया था लेकिन वहां से उन्हें कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली. कुछेक बच्चों के केस में ऐसा देखा जाता है कि माता-पिता उनका बैग ढोकर बच्चों को राहत देते हैं.
हाई कोर्ट ने लिया था संज्ञान...
स्कूल बैग के बढ़ते वजन पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए साल की शुरुआत में सर्कुलर जारी किया था. इसमें कमिटी ने ऐसे सलाह दिए थे कि स्कूल बैग के वजन में कमी लाने के प्रयास किए जाएं.
राज्य की संस्था ने हाई कोर्ट को सूचित किया था कि राज्य ने स्कूल के प्रिंसिपल और स्कूल मैनेजमेंट को इसके बाबत सर्कुलर जारी किए हैं. साथ ही इस रूल की नाफरमानी करने वालों पर कार्रवाई की भी बात कही है. सरकारी वकील ने बताया कि पूरे राज्य में कुल 1.06 लाख स्कूल हैं और सर्कुलर उन सभी को दायरे में ले आता है. हालांकि स्टूडेंट इस सर्कुलर के बारे में कुछ भी नहीं जानते.
स्टूडेंट्स ने समस्या से निपटने के लिए दिए सुझाव...
ऐसा नहीं है कि स्टूडेंट्स सिर्फ शिकायत के लिए ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. उन्होंने कहा कि स्कूल अथॉरिटी ऐसी व्यवस्था करे कि स्टूडेंट्स रोज होने वाली क्लासेस की किताबें स्कूल में ही रख सकें या फिर पीरियड घटाए जाएं.
वे रोज कम से कम 8 पीरियड की क्लासेस लेते हैं. उन्हें संबंधित विषय की किताबों के अलावा वर्कबुक भी लाने होते हैं. कई बार तो अलग से किताबें भी लानी होती हैं. ऐसा उनके लिए दुश्वार हो जाता है.
स्कूल अथॉरिटी द्वारा किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई के सवाल पर स्टूडेंट कहते हैं कि उनकी मांगें उचित हैं और वे ऐसी उम्मीद रखते हैं कि स्कूल कोई कार्रवाई नहीं करेगा. इसके अलावा उनका कहना है कि यदि स्कूल उनकी समस्याओं पर संज्ञान नहीं लेता है तो वे भूख हड़ताल का सहारा लेंगे.