Advertisement

चीन की चालबाजियों से चौकन्ना भारत, चीनी सीमाओं पर रखेगा LoC जैसी नजर

चीन के साथ लगातार बढ़ते इन टकरावों के बीच अब भारत के सामने सीमाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं. सवाल है कि क्या अब चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) भी पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा (LoC) की तरह हो जाएगी?

चीन के साथ टकराव लगातार बढ़ रहा है चीन के साथ टकराव लगातार बढ़ रहा है
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 11:18 AM IST

पहले डोकलाम फिर उसके बाद लद्दाख में भारत-चीन की सेनाएं आमने-सामने हुईं. 15 अगस्त को लद्दाख में स्थित पेंगोंग झील के करीब दोनों देशों की सेनाओं में टकराव हुआ. चीन के साथ लगातार बढ़ते इन टकरावों के बीच अब भारत के सामने सीमाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं. सवाल है कि क्या अब चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) भी पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा (LoC) की तरह हो जाएगी? क्या वहां निरंतर निगरानी और सतर्क चेतावनी की आवश्यकता है?

Advertisement

लद्दाख में एलएसी पर सर्दियों में तापमान -30 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. हालांकि कोई पोस्ट कभी भी रिक्त नहीं हुई. कुछ जगहों पर अत्यधिक सर्दी की स्थिति में जवानों की संख्या में कमी होती है. लेकिन अब इसमें बदलाव हो सकता है. अब तैनाती का स्तर गर्मियों के महीनों के तरह ही ज्यादा रहेगा.

सूत्रों की मानें तो LAC गश्ती की फ्रीक्वेंसी भी बढ़ सकती है. सीमा के साथ लगभग 60 गश्त पॉइंट है. साल भर में ऐसे गश्त पॉइंट की संख्या और बढ़ सकती है. पिछले डेढ़ दशक में सीमाओं पर सैनिकों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है. लेकिन यह देखते हुए कि कुछ कमजोर क्षेत्रों तक पहुंचना मुश्किल है, भारत के पास तैनाती को मजबूत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हालांकि, तवांग के पूर्वी क्षेत्र चिंता का विषय बने हुए हैं. सूत्रों ने बताया कि नई दिल्ली सिनाग, देबंग घाटी और सुबनसारी जैसे क्षेत्रों में भी नजर बनाए हुए है.

Advertisement

घुसपैठ में हुई बढ़ोतरी

भारतीय सेना के अनुमानित 50,000-75000 सैनिक, भारत-तिब्बती सीमा पुलिस के गार्ड चीन के साथ सीमा की रक्षा करते हैं. दोनों सेनाओं के आमने-सामने आने की संख्या में पिछले साल जो गिरावट आई थी, उसमें अब बढ़ोतरी हो रही है. इस जुलाई तक लगभग 300 बार घुसपैठ की कोशिश हुई, जबकि पिछले साल ये संख्या केवल 200 ही थी. साल के अंत तक इसके 500 पार करने की संभावना है.

दोनों तरफ से हुई पत्थरबाजी

15 अगस्त को पेंगोंग झील में घुसपैठ कि कोशिश में नाकाम होते देख चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी. पत्थरबाजी से दोनों तरफ सैनिकों को हल्की चोटें आने की खबर है. पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक दो इलाकों फिंगर फोर और फिंगर फाइव में सुबह 6 से 9 के बीच भारत की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन दोनों ही मौकों पर भारतीय जवानों ने उनकी कोशिश असफल कर दी. जब चीनी सैनिकों ने देखा कि उनकी कोशिश असफल हो गई है, तब उन्होंने भारतीय सैनिकों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. इसके बाद भारतीय जवानों ने भी पत्थर फेंके. घटना के कुछ देर बाद स्थिति नियंत्रण में आ गई.

इससे पहले डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच पिछले करीब दो महीनों से तनातनी जारी है. डोकलाम क्षेत्र सिक्किम के पास भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन पर स्थित है. यह इलाका भूटान की सीमा में पड़ता है, लेकिन चीन इसे डोंगलोंग प्रांत बताते हुए अपना दावा करता है. चीन ने इस साल जून में जब डोकलाम के पास सड़क बनाने की कोशिशें शुरू कीं, तो भारतीय सैनिकों ने दखल देते हुए उनका काम रुकवा दिया. दरअसल भूटान के साथ हुए समझौते के तहत भारत अपने इस पड़ोसी मुल्क की संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. ऐसे में उसका दखल देना लाजमी हो जाता है. वहीं चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है और भारतीय सेना के दखल को 'अतिक्रमण' करार दिया है. चीन तब से ही युद्धउन्मादी बयान देते हुए भारत से अपने सैनिक हटाने को कह रहा है.

Advertisement

दरअसल चीन जिस जगह के पास सड़क बना रहा है, वह भारत का 'चिकन नेक' कहलाने वाले हिस्से के बेहद करीब स्थित है. उत्तर पूर्वी राज्यों को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाला यह इलाका महज 20 किलोमीटर चौड़ा है और सामरिक रूप से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. ऐसे में इस जगह के आसपास चीनी गतिविधि भारत की सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement