
दिल्ली जैसे महानगर में अपने आशियाने की चाहत रखने वाले लोगों की कमी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली विकास प्राधिकरण की आवासीय योजना लोगों को नहीं लुभा पा रही है. डीडीए ने हाउसिंग स्कीम के तहत 12,072 फ्लैट्स उतारे हैं, जिसमें से एलआईजी फ्लैट्स की संख्या 11,197 है, तो वहीं एचआईजी के 87, एमआईजी के 404 और जनता फ्लैट्स की संख्या 384 है.
डीडीए हाउसिंग के प्रिंसिपल कमिनश्नर जेपी अग्रवाल के मुताबिक 12,072 फ्लैट्स के लिए अब तक सिर्फ 5000 आवेदकों ने ही अपना रजिस्ट्रेशन पूरा किया है, एचआईजी और एमआईजी के लिए करीब 500 आवेदन मिले हैं, लेकिन एलआईजी फ्लैट्स के साइज को लेकर लोग थोड़ा पशोपेश में हैं, जबकि डीडीए के एलआईजी फ्लैट्स स्टैंडर्ड साइज के हैं, इसके बावजूद पिछले स्कीम के मुकाबले इस बार लोगों का रूझान थोड़ा घटा है.
डीडीए हाउसिंग स्कीम की तरफ रूझान घटने के 5 बड़े कारण
1. नोटबंदी के बाद रियल स्टेट मार्केट स्लो डाउन है जिसकी वजह से ना सिर्फ प्राइवेट हाउसिंग सोसायटीज बल्कि डीडीए के सस्ते आवासीय योजना में भी इन्वेस्ट करने वालों की संख्या घटी है, सिर्फ जरूरतमंद ही रजिस्ट्रेशन के लिए पहुंच रहे हैं.
2. लोगों को डीडीए फ्लैट्स के लिए बैंकों से फाइनेंस लेने में भी मुश्किल आ रही है. नई स्कीम में लोगों को एलआईजी में आवेदन के लिए एक लाख का डिमांड ड्राफ्ट और एचआईजी, एमआईजी फ्लैट्स के लिए 2 लाख का डिमांड ड्राफ्ट देना है, ऐसे में कई लोगों की शिकायत है कि बैंक से आसानी से फाइनेंस सुविधा नहीं मिल रही है.
3. एलआईजी फ्लैट्स की बनावट पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं. आवेदन भरने पहुंचे लोगों के मुताबिक बेशक डीडीए स्टैंडर्ड एलआईजी फ्लैट्स दे रहा है, लेकिन एक छोटे एकाकी परिवार के लिए भी ये फ्लैट्स बेहद छोटे हैं.
4. डीडीए के फ्लैट्स का शहर से दूर होना भी एक बड़ी वजह है, ज्यादातर फ्लैट्स द्वारका, रोहिणी, नरेला, पश्चिम विहार, जहांगीरपुरी के भी दूर-दराज इलाकों में हैं. फिलहाल इन इलाकों से आवागमन के साधन बहुत कम है.
5. एलआईजी के जिन 11,197 फ्लैट्स के लिए स्कीम निकाली गई है इनमें वो फ्लैट्स भी शामिल है जो पिछले स्कीम में लोगों ने सरेंडर कर दिये थे.
डीडीए हाउसिंग के प्रिंसिपल कमिनश्नर जेपी अग्रवाल ने बताया कि ट्रांसपोर्टेशन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए डीटीसी और डीएमआरसी को डीडीए की तरफ से चिट्ठी भेजी गई है ताकि वो अपनी आगामी योजनाओं में इन आवासीय इलाकों को ध्यान में रखें.
वहीं पानी की कमी को दूर करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड को भी चिट्ठी लिखी गई है इंफ्रास्ट्रक्टर और कंशट्रक्शन की क्वालिटी पर लोगों के उठाए गए सवाल पर डीडीए ने सफाई देते हुए कहा कि जिन फ्लैट्स में थोड़ी बहुत खामी है.
उन्हें पजेशन देने से पहले दुरुस्त कर दिया जाएगा, हालांकि डीडीए का दावा है कि उनके फ्लैट्स की कंशट्रक्शन क्वालिटी प्राइवेट बिल्डरों से बेहतर है. भूंकप रोधी इमारतें हैं, ग्रीन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
हालात ये हैं कि डीडीए को ये डर सता रहा है कि कहीं पिछली स्कीम की तरह उनकी ये स्कीम भी फ्लाप ना हो जाए. दरअसल पिछली स्कीम के दौरान करीब 11,000 डीडीए फ्लैट्स लोगों ने ये कहकर सरेंडर कर दिया था कि फ्लैट्स की क्वालिटी बेहद खराब है.जानकारी के मुताबिक पिछली स्कीम में भी डीडीए ने EWS कैटेगरी के फ्लैट्स को एलआईजी कैटेगरी में रख कर ड्रा निकाला था. लिहाजा लोगों ने फ्लैट्स लौटा दिए पिछली स्कीम से भी डीडीए ने कोई सबक नहीं सीखा.
डीडीए फिलहाल आवेदन के आखिरी हफ्ते के रिस्पांस का इंतजार कर रही हैं, अगर तब तक आवेदनों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ तो हो सकता है कि आवेदन के लिए आखिरी दिन की तारीख और बढा दी जाए.