
जम्मू-कश्मीर के नवनियुक्त राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि राज्य के लोगों का भरोसा जीतना और क्षेत्रीय असंतुलन से जुड़ी समस्याओं का समाधान उनकी पहली प्राथमिकता होगी. सत्यपाल मलिक पिछले 51 साल में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बनने वाले पहले राजनीतिज्ञ हैं.
गौरतलब है कि आतंकवाद से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर समय तक ब्यूरोक्रेट या सेना से रिटायर्ड अधिकारियों को ही राज्यपाल बनाया गया है. सिर्फ 1965 से 1967 तक के दो साल के दौर में कर्ण सिंह राज्यपाल रहे जो वहां के राजपरिवार से भी जुड़े हैं.
सत्यपाल मलिक इसके पहले बिहार के राज्यपाल थे. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'यह एक चुनौतीपूर्ण काम है. बुनियादी चुनौती है राज्य के लोगों का भरोसा जीतना.'
सत्यपाल मलिक ने यह भी बताया कि वह जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ जुड़े रहे हैं और उनके साथ उन्होंने वीपी सिंह की सरकार में काम किया है. मलिक ने कहा, 'मुफ्ती साहब हमारे दोस्त थे. मैंने उनके साथ काम किया है. वह एक अद्भुत व्यक्ति थे.'
क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने पर जोर
सत्यपाल मलिक काफी वरिष्ठ राजनीतिज्ञ हैं और उन्होंने चरण सिंह, वीपी सिंह जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है. जम्मू-कश्मीर में पिछले 51 साल में पहली बार किसी राजनीतिज्ञ को गवर्नर बनाने से यह संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर की समस्याओं के समाधान को प्रमुखता दे रही है.
इस बारे में मलिक ने कहा, 'संकेत यह है कि गवर्नर जनता का होना चाहिए. प्रधानमंत्री हमेशा ही जम्मू-कश्मीर के बारे में गंभीर रहे हैं. वहां के विकास और तीनों क्षेत्रों में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने पर उनका फोकस रहा है. बाढ़ हो या कोई भी संकट वह हमेशा कश्मीर के साथ रहे हैं.'
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के तीनों क्षेत्रों (कश्मीर, जम्मू और लद्दाख) के विकास में असंतुलन का मसला बीजेपी काफी समय से उठाती रही है. जून माह में राज्य में महबूबा मुफ्ती सरकार गिरने के बाद से ही राज्यपाल शासन लगा हुआ है.
इस वजह से राज्य के लिए मुफीद
जानकारों के मुताबिक एक तो वह आरएसएस से जुड़े नहीं हैं और दूसरे मुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ काम कर चुके हैं, इसलिए उम्मीद की जाती है कि राज्य की जनता में उनकी स्वीकार्यता बढ़ेगी. वह सत्तर के दशक से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं और बीजेपी में आने से पहले कई दलों में रह चुके हैं.