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शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक, मिलकर सहयोग करने का आह्वान

संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी दलों से अनुरोध किया है कि शुक्रवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र को मिलकर उपयोगी बनाया जाए.

अनंत कुमार अनंत कुमार
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:54 PM IST

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले केंद्र सरकार ने अन्य दलों के साथ सर्वदलीय बैठक की और सभी दलों को मिलकर सत्र चलाने का आह्वान किया. यह सत्र शुक्रवार से शुरू होने जा रहा है.

संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी दलों से अनुरोध किया है कि इस सत्र को मिलकर उपयोगी बनाया जाए. संसद भवन में हुई बैठक में पीएम मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य दलों के कई नेताओं ने शिरकत की.

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संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से लेकर 5 जनवरी तक चलेगा. 21 दिन चलने वाले सत्र में दोनों सदनों में कुल 14 बैठकें होंगी. जबकि पिछले साल शीतकालीन सत्र में 22 बैठकें हुई थीं.

सरकार को घेरने के मूड में कांग्रेस

दूसरी ओर, कांग्रेस पहले ही अपना रुख साफ कर चुकी है कि इस सत्र में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह का मामला और रॉफेल करार जैसे कई मुद्दों पर सरकार को घेरेगी.

संसद सत्र को लेकर सरकार की ओर से सर्वदलीय बैठक की परंपरा काफी पुरानी है. इसके जरिए सरकार विपक्ष के नेताओं को संसद को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग की बात करती है. साथ ही यह आश्वासन देती है कि वह किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार हैं.

इससे पहले शुक्रवार से शुरू हो रहे शीतकालीन संसद सत्र को छोटा करने और गुजरात चुनाव के बीच आयोजित नहीं करने पर कांग्रेस ने सरकार की जमकर आलोचना की थी. उसने सरकार पर आरोप भी लगाया कि उसने गुजरात चुनाव को देखते हुए शीतकालीन सत्र को समय पर नहीं बुलाया. साथ ही यह आरोप भी लगाया कि सरकार भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों से बच रही है.

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जवाब में सरकार ने सफाई दी कि यह पहली दफा नहीं है. इससे पहले भी संसद सत्र को आगे पीछे किए गए. कांग्रेस के समय में भी कई सत्र तारीखों को आगे पीछे किया जाता रहा है. मोदी सरकार का कहना है कि वह संसद में किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है और किसी भी मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगी.

सरकार तीन तलाक को लेकर शीतकालीन सत्र में एक बिल लाने जा रही है. तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने वाला यह बिल शुक्रवार को ही कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए लाया जाएगा. इस बिल में एक साथ तीन तलाक दिए जाने पर तीन साल तक की सजा का प्रावधान है.

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