
देश में एक तरफ विकास और तरक्की की कहानियां गढ़ी जा रही हैं, तो दूसरी तरफ कई ऐसे इलाके हैं, जहां आज भी अंधविश्वास की आड़ में अत्याचार होता है. राजस्थान का भीलवाड़ा ऐसी जगह है जहां डायन प्रथा सबसे ज्यादा है. डायन भगाने के नाम पर यहां के एक मंदिर में महिलाओं पर ऐसे अत्याचार होते है कि देखनेवाले सिहर उठें. अनपढ़ भोपा जिन्हें कई जगह ओझा भी कहते हैं इन महिलाओं के मुंह में जूते ठूंस देते हैं. जूतों से पीटते है. जूते में पानी भरकर पिलाते हैं और सिर पर जूते लेकर मंदिर की 200 सीढ़ियां कई बार चढ़ते-उतरवाते हैं.
ऐसे होता है अत्याचार
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के आसिंद कस्बे स्थित बंक्याणी माता के मंदिर में डायन और भूत-प्रेत भगाने का दावा किया जाता है. यहां मुंह में जूते दबाकर और सिर पर जूते रखकर समाज द्वारा डायन घोषित की गई महिलाओं को कई मंदिर की 200 सीढ़ियां चढ़ने को कहा जाता है. सिर पर जूता रखकर दो किलोमीटर तक परिक्रमा भी करनी होती है. ऐसा तबतक चलता है, जबतक महिला बेहोश न हो जाए.
मुंह में ठूंस दिया जाता है कपड़ा
कई बार महिलाओं के मूंह में जूते ठूंस दिया जाता है. अगर फिर भी डायन नहीं निकले, तो इन्हीं जूतों से ताबड़तोड़ महिलओं को पीटा जाता है. अगर थक कर या चोट से आप निढ़ाल होने लगे, तो चमड़े के जूते से महिलाओं के मुंह में पानी भी पिलाया जाता है. जितना गंदा पानी मंदिर के कुंड का होता है, उतने ही फटे-पुराने चमड़े के जूते होते हैं. एक दो बार नहीं जूते से सात बार पानी पिलाया जाता है. यहां वो महिलाएं आती हैं, जिन्हें समाज डायन घोषित कर देता है या फिर किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त होती हैं.
डायन उतारने के लिए वसूलते हैं 500-1000 रुपये
हर शनिवार और रविवार को करीब 10 से ज्यादा भोपा 200 से 300 महिलाओं के डायन उतारते हैं. भोपा एक डायन उतारने के 500 से लेकर 1000 रुपये तक लेते हैं. यहां तक की कबाड़ी से भी फटे-पुराने फेंके हुए चमड़े के जूते दो रुपयों में बेचे जाते हैं.
4 भोपा गिरफ्तार
भीलवाड़ा के एसपी प्रदीप मोहन का कहना है कि पुलिस ने अभी तीन पुरुष भोपा और एक महिला भोपा को गिरफ्तार किया है. पहले भी कई बार इन्हें गिरफ्तार कर चुके हैं. पुलिस भोपाओं के खिलाफ कार्रवाई करती है, लेकिन ये एक सामाजिक समस्या है, जिसकी वजह से अंधविश्वास फैला है.