
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार 29 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों के 465 जिलों की महिलाओं पर सर्वे रिपोर्ट जारी किया. इसमें लिव-इन की तुलना में शादी कर घर बसाने वालीं महिलाओं को ज्यादा खुश बताया गया है. यह सर्वे दृष्टि प्रबोधन अध्ययन केंद्र ने कराया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संसदीय समितियों में महिला सांसदों के न होने के सवाल पर भागवत ने कहा कि कानून तो बन गया, लेकिन काबिल महिलाएं सामने नहीं आ रहीं. महिलाओं को टोकन भागीदारी नहीं चाहिए. महिलाओं को रेस्ट जोन से बाहर निकलकर ज़िम्मेदारियों को उठाना होगा.
सर्वे के मुताबिक, रोजगार से जुड़ी महिलाओं की शिकायत थी कि उन्हें बच्चों के लिए क्रैच की सुविधा उपलब्ध नहीं है. साथ ही कैंटीन, परिवहन और कार्यस्थल पर रेस्ट रूम की सुविधा भी नहीं मिलती, उनमें से 60% से भी अधिक को लोन सुविधा भी प्राप्त नहीं है. स्टडी सैंपल में रोजगार का सर्वाधिक प्रतिशत ईसाई समुदाय की महिलाओं में और उसके बाद हिंदू, बौद्ध, मुस्लिम, जैन और सिख समुदाय की महिलाओं में देखा गया है.
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 'किस प्रकार से महिलाएं धन का भुगतान करती हैं. डिजिटल इंडिया के दौर में भी 51% महिलाएं कैश में भुगतान करना पसंद करतीं हैं.
आरएसएस का शीर्ष नेतृत्व विदेशी मीडिया से मिला
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को विदेशी मीडिया से संबद्ध पत्रकारों से बात की. उन्होंने बताया कि संघ की प्राथमिक भूमिका 'राष्ट्र निर्माण' है. कई प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों के सदस्यों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. विदेशी प्रेस के लगभग 80 सदस्य अलग-अलग 30 देशों से आए थे.
आरएसएस मीडिया प्रचार सेल के प्रमुख अरुण कुमार ने इस बैठक को उस सतत प्रक्रिया का हिस्सा बताया, जिसमें सरसंघचालक समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ रचनात्मक बातचीत करते हैं. कार्यक्रम के प्रारूप के अनुसार, भागवत ने कार्यक्रम की शुरुआत अपने संबोधन के बाद प्रश्न-उत्तर सत्र से की. सत्र ढाई घंटे से अधिक समय तक चला.