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देश में स्टाकिंग के मामलों में इजाफा, पुलिस की ढिलाई से छूट जाते हैं आरोपी

महिला सुरक्षा की बात की जाए तो ये आंकड़े परेशान करने वाले हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से संसद में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं का पीछा करने (Stalking) के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.

इन आंकड़ों ने महिला सुरक्षा के दावों की पोल खोलकर रख दी है इन आंकड़ों ने महिला सुरक्षा के दावों की पोल खोलकर रख दी है
परवेज़ सागर/खुशदीप सहगल/कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST

महिला सुरक्षा की बात की जाए तो ये आंकड़े परेशान करने वाले हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से संसद में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं का पीछा करने (Stalking) के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. संसद में साझा किए गए आंकड़े बताते हैं कि 2016 में स्टाकिंग के 7200 मामले दर्ज हुए और 7073 आरोपी लोगों को चार्जशीट किया गया लेकिन सिर्फ 480 ही दोषी ठहराए जा सके. ये आंकड़े 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के हैं.

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2015 में स्टाकिंग के 6266 मामले ही दर्ज हुए थे. इससे एक साल पहले 2014 में ऐसे 4699 मामले दर्ज हुए. फिक्र करने वाली बात ये है कि ऐसे मामलों में जहां बढ़ोतरी हो रही है वहीं अपराध साबित करने की दर घटती जा रही है. 2014 में जहां अपराध साबित होने की दर जहां 34.8% थी, वही 2015 में घट कर 26.4% रह गई.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने वर्ष 2014 से 2016 तक के आंकड़ों की संसद को जानकारी दी. अगर राज्यों की बात की जाए तो 2016 में स्टाकिंग के सबसे ज्यादा 1587 मामले महाराष्ट्र में रिपोर्ट हुए. महाराष्ट्र पुलिस ने 1580 लोगों को चार्जशीट किया. इनमें से सिर्फ 35 को ही अदालतों की ओर से दोषी ठहराया जा सका. जाहिर है कि अधिकतर आरोपियों के खिलाफ पुलिस ऐसे साक्ष्य नहीं जुटा सकीं जिनके आधार पर अदालतें उन्हें दोषी ठहरातीं. महाराष्ट्र में पिछले कुछ वर्षों से स्टाकिंग के मामले हर साल बढ़ते जा रहे हैं.

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उत्तर प्रदेश पुलिस का रिकॉर्ड स्टाकिंग के मामले में दोषियों को कानून के अंजाम तक पहुंचाने में बेहतर रहा है. यहां 754 लोगों को चार्जशीट किया गया. इनमें से 200 लोगों पर दोष सिद्ध हुआ. देश के किसी भी राज्य में ऐसे मामलों में ये दोष साबित होने की सबसे ज्यादा दर है.

2016 में स्टाकिंग के सबसे ज्यादा मामले रजिस्टर होने की फेहरिस्त में दूसरे स्थान पर तेलंगाना, तीसरे पर दिल्ली, चौथे पर मध्य प्रदेश और पांचवें पर उत्तर प्रदेश है. तेलंगाना में 1096, दिल्ली में 835 और मध्य प्रदेश में 820 स्टाकिंग के केस दर्ज हुए.

दोष साबित होने की दर में उत्तर प्रदेश के बाद दिल्ली का नंबर है, जहां 609 चार्जशीटेड में से 59 दोषी साबित हुए. तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहां 59 पर दोष साबित हुआ. महाराष्ट्र में 35 और हरियाणा में 30 पर ही दोष साबित हो सका.

2015 की बात की जाए तो महाराष्ट्र में 1400, दिल्ली में 1124, तेलंगाना में 766, आंध्र प्रदेश में 551 और उत्तर प्रदेश में 519 केस दर्ज हुए. इस साल भी दोष साबित होने की दर उत्तर प्रदेश में ही दिखी. यहां 219 लोगों को सलाखों के पीछे भेजा गया.

दो केंद्र शासित प्रदेशों की बात की जाए तो दादरा और नगर हवेली, लक्षद्वीप का इस मामले में रिकॉर्ड बिल्कुल साफ रहा है. यहां 2014 से 2016 में एक भी स्टाकिंग का मामला दर्ज नहीं हुआ. इसके बाद पूर्वोत्तर राज्यों का नंबर आता है जहां बहुत कम ऐसे मामले दर्ज हुए.

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