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जानिए सफलता की इबारत लिखने वाली महिलाओं के बारे में

हौसला है अगर तो दुनिया का कोई काम नामुमकिन नहीं हो सकता है. जानिए ऐसे आम से दिखने 10 लोगों के बारे में जिन्‍होंने सफलता की नई इबारत लिख दी.

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हौसला है अगर तो दुनिया का कोई काम नामुमकिन नहीं हो सकता है. जानिए ऐसे आम से दिखने 10 लोगों के बारे में जिन्‍होंने सफलता की नई इबारत लिख दी:

1. पैरों से लिखने वाली पुष्पा ने दी पीसीएस लोअर की परीक्षा:

इरादा पक्का हो तो बड़ी से बड़ी दीवार भी गिर जाती है. आपने लोगों को सिर्फ ऐसा कहते सुना होगा लेकिन बहराइच की पुष्पा ने इसे साबित करके दिखाया है. दिव्यांग पुष्पा सिंह हाथों से अक्षम हैं लेकिन उन्होंने इसे कभी भी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया. वह अपने पैरों से लिखती हैं. उनकी इस प्रतिभा से उनके घरवाले और आस-पास के लोग तो पहले से ही परिचित थे लेकिन जब वह पीसीएस लोअर की परीक्षा देने पहुंचीं तो उनकी हिम्मत देखकर सभी हैरान रह गए. पुष्पा स्कूल टीचर हैं लेकिन उनका सपना प्रशासनिक अधिकारी बनने का है. प्रशासनिक अधिकारी बनकर पुष्पा समाज में बदलाव लाना चाहती हैं.

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2. पिता जिस यूनिवर्सिटी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, उसी यूनिवर्सिटी में एमसीए टॉपर बनी बेटी:
कठिन परिश्रम करके बड़ी से बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है, इस कथन को एक बार फिर साबित कर दिखाया है बाबा भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी (BBAU) लखनऊ की स्टूडेंट रत्ना रावत ने. रत्ना ने यूनिवर्सिटी की एमसीए परीक्षा में टॉप किया है. इनके पिताजी इसी यूनिवर्सिटी में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं.

3. सरहद का जिम्‍मा संभालेंगी डीजी अर्चना रामासुंदरम:
सरहद की जिम्‍मेदारी संभालना कोई आसान बात नहीं. यही वजह है कि यह जिम्‍मा जांच-परखकर मजबूत कंधों को सौंपा जाता है. इस बार यह जिम्‍मा अर्चना रामासुंदरम को दिया गया है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी महिला को सशस्त्र सीमा बल का नया प्रमुख नियुक्त किया गया हो. एनसीआरबी की डीजी अर्चना रामासुंदरम अब भारतीय अर्धसैनिक बल की पहली महिला प्रमुख होंगी. उन्हें नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक पद से सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) का महानिदेशक बनाया गया है.

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4. बिहार की शिंजनी बनेंगी Paytm की सीईओ:
पटना विमेंस कॉलेज से पढ़ाई करने वाली समस्तीपुर की शिंजनी कुमार जल्द ही पेटीएम बैंकिंग सेवा की सीइओ बनने वाली हैं. समस्तीपुर के गांव में एक किसान परिवार में पैदा हुईं शिंजनी कुमार ने बालिका विद्यापीठ से पढ़ाई के बाद पटना विमेंस कॉलेज से अंग्रेजी में ग्रेजुएशन किया. उसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में एमए की शिक्षा पूरी की. पढ़ने के प्रति शिंजनी के जोश का आलम यह था कि अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए शिंजनी ने बालिका विद्यापीठ में नौकरी भी की थी. उन्‍होंने अमेरिका के टेक्सास यूनिवर्सिटी के लिंडन जॉनसन स्कूल से पब्लिक पॉलिसी में एमए कोर्स किया है.

5. मां बनने के बाद बनीं नेशनल ताइक्वांडो चैंपियन:
विषम परिस्थितियों में भी लड़कियों ने लगातार अपनी प्रतिभा का जलवा हर फील्ड में दिखाया है. यूपी के मथुरा की ताइक्वांडो चैंपियन नेहा की कहानी उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो शादी के बाद यह मान लेती हैं कि उनका करियर ही खत्म हो गया है. नेहा ने न सिर्फ शादी के बाद पढाई की बल्कि अपनी मेहनत के दम पर नेशनल ताइक्वांडो प्रतियोगिया में गोल्ड मेडल भी हासिल किया.

6. 91 वर्ष की यह लेडी डॉक्टर 1948 से कर रही हैं महिलाओं का मुफ्त इलाज :
यह कहानी है डॉ. भक्त‍ि यादव और उनके बुलंद हौसले की. हममें से ज्यादातर लोग तो यही चाहते हैं कि कोई 9-5 की नौकरी मिल जाए ताकि ऑफिस के साथ-साथ घर को भी पूरा वक्त दिया जा सके. पर कुछ लोग भीड़ से अलग होते हैं और भक्त‍ि यादव उन्हीं में से एक हैं. वह अपने जीवन का एक-एक पल मरीजों की सेवा में बिता रही हैं. 91 साल की उम्र में वह बिना थके अपने मरीजों का इलाज करती हैं और वह भी बिना कोई फीस लिए. यह सिलसिला 1948 से चला आ रहा है. इंदौर की डॉक्टर भक्त‍ि स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं. अपने पूरे करियर में उन्होंने कभी भी प्रसव कराने के लिए पैसे नहीं लिए. इतना ही नहीं, वह इंदौर की पहली महिला एमबीबीएस डॉक्टर भी हैं.

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7. 11 साल की मीरा बनीं 'बिजनेस गर्ल', पासवर्ड बनाकर दुनिया में बजाया डंका:
जिस उम्र में बच्चे खेलने-कूदने, टीवी देखने, कंप्यूटर चलाने और मौज मस्ती की बाकी चीजों में लगे रहते हैं, वहां एक बच्ची ऐसी भी है जो अपना बिजनेस चला कर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी है. ये कहानी है 11 साल की मीरा मोदी की जो न्‍यूयॉर्क में अपना बिजनेस चला रही है. 6 क्लास की स्टूडेंट मीरा ने एक वेबसाइट खोली है जिसके जरिए वो लोगों को पासवर्ड्स बेचती है.

8. पांचवी पास चपरासी की बेटी ने किया कमाल, पहली बार में पास की जज की परीक्षा:
हाल ही में नागपुर कोर्ट में चपरासी गुलाम पठान की बेटी अमरीन कासिम ने उसी कोर्ट में बतौर जज पदभार संभालकर सफलता की एक मिसाल कायम की है. अमरीन ने अप्रैल में मजिस्‍ट्रेट पद के लिए आयोजित हुई कॉम्‍पटीटिव परीक्षा में आवदेन किया था, जिसे उन्‍होंने कड़ी मेहनत से पहली बार में ही पास कर लिया.

9. 15 साल की बक्‍शो ने नंगे पांव रेस में हिस्‍सा लेकर जीता गोल्‍ड मेडल:
जिंदगी में आप चाहे कितनी ही मुश्किलों से घिरे हों लेकिन आपने किसी काम को पूरा करने की ठान ली है तो कोई भी आपको रोक नहीं सकता है. ऐसे ही मजबूत जज्‍बे की मिसाल है बक्शो देवी. भले ही बक्‍शो के पिता नहीं हैं, उसकी आर्थिक हालात तंग है ,और तो और वह पित्ताशय की पथरी से भी पीड़ित है. लेकिन हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित ईसपुर गांव की नौवीं कक्षा की छात्रा बक्शो देवी के पास है गजब की हिम्‍मत, जिसके आगे ये सारी परेशानियां औंधे मुंह गिरी दिखाई देती है.

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10. जीरो डिग्री टेंपरेचर में 7 मिनट तक कथक कर बनाया रिकॉर्ड :
जहां सांस लेना भी आसान नहीं है वहां पंजाब यूनिवर्सिटी की स्‍टूडेंट श्रुति गुप्‍ता ने सात मिनट तक लगातार कथक करके अपना नाम लिम्‍का बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया है. श्रुति ने जहां अपना नृत्‍य प्रस्‍तुत किया, वो जगह लाहौल-स्पीति हिमाचल प्रदेश के सुदूर इलाकों में है. ये बारालाचा के पास 17198.16 फीट ऊंचाई पर है. इस प्रस्‍तुति के साथ श्रुति ने पुराने रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया जो बिलासपुर में 7,217.84 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया था. आपको बता दें कि लिम्का बुक श्रुति का नाम सबसे अधिक ऊंचाई पर कथक करने के लिए 2016 के वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल करेगा. इस परफॉर्मेंस को 'प्रकृति निर्वाण रूपम' नाम दिया गया. श्रुति ने कहा कि जीरो डिग्री टेंपरेचर में कथक की पारंपरिक ड्रेस पहनकर कथक करना बेहद मुश्किल था.

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