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भारतीय मुक्केबाजों को चार साल में पहली बार विश्व चैम्पियनशिप से खाली हाथ लौटना पड़ा. क्वार्टरफाइनल में पहुंचे पांच मुक्केबाजों में से कोई भी सेमीफाइनल में जगह नहीं बना सका. बुधवार को पांचों बॉक्सर बाहर हो गए.
एशियाई चैम्पियन शिव थापा (56 KG) और राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मनोज कुमार (64 KG) दोपहर के सत्र में हार गये, जबकि शाम के सत्र में विकास मलिक (60 किलोग्राम) और सुमित सांगवान (81 किलोग्राम) को शिकस्त का मुंह देखना पड़ा. सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक) को मेडिकल रूप से अनफिट करार दिया गया.
चौथे वरीय शिव को अजरबैजान के जाविद चालाबियेव के हाथों 0-3 से शिकस्त का सामना करना पड़ा, जबकि छठे वरीय मनोज को क्यूबा के यासनीर लोपेज ने इसी अंतर से हराया.
दूसरे सत्र में विकास को चौथी वरीयता प्राप्त ब्राजील के रोबसन कोनसेसियाओ से 0-3 से मात मिली. सुमित (81 किग्रा) को दुनिया के नंबर एक और शीर्ष वरीय कजाखस्तान के आदिलबेक नियाजिमबेतोव से हार मिली.
शिव ने भारतीय मुक्केबाजों में सबसे पहले रिंग में कदम रखा. उन्होंने अच्छी शुरूआत की, लेकिन चालाबियेव ने आक्रामक मुक्केबाजी का नजारा पेश करते हुए 30-28 से जीत दर्ज की. अजरबेजान के मुक्केबाज को इस दौरान उनकी रणनीति के लिए आगाह भी किया गया, लेकिन चालाबियेव ने सतर्कता बरतते हुए भारतीय मुक्केबाज को पछाड़ दिया.
राष्ट्रीय कोच गुरबक्श सिंह संधू ने कहा, 'यह निराशाजनक है लेकिन उम्मीद करते हैं कि शिव इस अनुभव से सीखेगा. अजरबेजान के मुक्केबाज में कुछ भी असाधारण नहीं था, सिर्फ वह काउंटर पंच कर रहा था.' अगले भारतीय मुक्केबाज मनोज ने क्यूबा के ओलंपिक कांस्य पदक विजेता यासनीर लोपेज को तीनों राउंड में कड़ी चुनौती दी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा.
संधू ने कहा कि मनोज ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और हारने के बावजूद उसने अच्छी मुक्केबाजी की. शाम के सत्र में विकास को फिट ब्राजील मुक्केबाज से चुनौती का सामना करना पड़ा जो काफी आक्रामक फार्म में था.
सतीश को मंगलवार को प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबले के दौरान दायीं आंख के ऊपर कट लग गया था, जिसके कारण वह मुकाबले से बाहर हो गए और लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता और स्थानीय खिलाड़ी इवान दाइच्को ने वाकओवर मिलने के कारण सेमीफाइनल में प्रवेश किया किया.
विश्व चैम्पियनशिप के इस चरण के निराशाजनक अभियान से भारत के इस प्रतियोगिता में पदक की संख्या महज दो ही है. विजेंदर सिंह (75 किग्रा) ने 2009 में कांस्य पदक से भारत के लिये विश्व चैम्पियनशिप में खाता खोला था, जबकि इस बार वह दूसरे राउंड में ही बाहर हो गये. इसके अगले चरण में अजरबेजान में विकास कृष्णन (69 किग्रा) ने भी कांस्य पदक अपने नाम किया था.