Advertisement

पवन, वायुदाब, कॉरिऑलिस प्रभाव से जुड़़े महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

पृथ्वी के धरातल पर वायुदाब में क्षैतिज विषमताओं के कारण हवा उच्च वायुदाब क्षेत्र से निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर बहती है. क्षैतिज रूप से इस गतिशील हवा को पवन कहते हैं.

aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 15 अक्टूबर 2014,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST

पवन (Wind): पृथ्वी के धरातल पर वायुदाब में क्षैतिज विषमताओं के कारण हवा उच्च वायुदाब क्षेत्र से निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर बहती है. क्षैतिज रूप से इस गतिशील हवा को पवन कहते हैं. ऊर्ध्वाधर दिशा में गतिशील हवा को वायुधारा ( Air current) कहते हैं. अगर पृथ्वी स्थिर होती और उसका धरातल समतल होता तो पवन उच्च वायुदाब वाले क्षेत्र से सीधे निम्न वायुदाब वाले क्षेत्र की ओर समदाब रेखाओं पर समकोण बनाती हुई चलती. पर वास्तविक स्थिति यह है कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन कर रही है और उसका धरातल समतल नहीं है. पवन कई कारणों से अपनी दिशा में परिवर्तन करती हुई चलती हैं.

Advertisement

ये कारण हैं- दाब प्रवणता बल, कॉरिऑलिस प्रभाव (Coriolis effect), अभिकेंद्रीय त्वरण और भू-घर्षण.

कॉरिऑलिस प्रभाव (Coriolis effect)- पृथ्वी के घूर्णन के कारण पवनें अपनी मूल दिशा में विक्षेपित हो जाती हैं. इसे कॉरिऑलिस बल कहते हैं. इसका नाम फ्रांसीसी वैज्ञानिक के नाम पर पड़ा है. इन्होने सबसे पहले इस बल के प्रभाव का वर्णन 1835 में किया था.

पवन निम्न प्रकार की होती हैं:
1. प्रचलित पवन
2. मौसमी पवन
3. स्थानीय पवन

1. प्रचलित पवन: पृथ्वी के विस्तृत क्षेत्र पर एक ही दिशा में वर्ष भर चलने वाली पवन को प्रचलित पवन या स्थायी पवन कहते हैं. स्थायी पवनें एक वायु-भार कटिबन्ध से दूसरे वायु-भार कटिबन्ध की ओर नियमित रूप से चला करती हैं. इसके उदाहरण हैं- पछुआ पवन, व्यापारिक पवन और ध्रुवीय पवन.
(a) पछुआ पवन:
दोनों गोलार्द्धो में उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबंधो से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब कटिबंधों की ओर चलने वाली स्थायी हवा को, इनकी पश्चिम दिशा के कारण पछुआ पवन कहते हैं. पछुआ पवन का सर्वश्रेष्ठ विकास 40 डिग्री से 65 डिग्री दक्षिण अक्षांशों के मध्य पाया जाता है. यहां के इन अक्षाशों को गरजता चालीसा, प्रचण्ड पचासा और चीखता साठा कहा जाता है. ये सभी नाम नाविकों के दिए हुए हैं.

Advertisement

(b) व्यापारिक पवन: लगभग 30 डिग्री उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के क्षेत्रों या उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबंधो से भूमध्य रेखीय निम्न वायुदाब कटिबंधों की ओर दोनों गोलार्द्धों में वर्ष भर निरंतर प्रवाहित होने वाले पवन को व्यापारिक पवन कहा जाता है.

(c) ध्रुवीय पवन: ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटियों से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की पेटियों की ओर प्रवाहित पवन को ध्रुवीय पवन के नाम से जाना जाता है. उत्तरी गोलार्द्ध में इसकी दिशा उत्तर- पूर्व से दक्षिण- पश्चिम की ओर वहीं दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण- पूर्व से उत्तर- पश्चिम की ओर है.

2. मौसमी पवन: मौसम या समय के परिवर्तन के साथ जिन पवनों की दिशा बदल जाती है उन्हें मौसमी पवन कहा जाता है. जैसे- मॉनसूनी पवन, स्थल समीर और समुद्री समीर.

3. स्थानीय पवन: प्रमुख गर्म स्थानीय पवन निम्म हैं
(a) चिनुक:
यह संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में रॉकी पर्वत श्रेणी के पूर्वी ढाल के साथ चलने वाला गर्म या शुष्क पवन है. यह पवन रॉकी पर्वत के पूर्व के पशुपालकों के लिए बड़ा ही लाभदायक है.

(b) फॉन: यह आल्पस पर्वत के उत्तरी ढाल से नीचे उतरने वाली गर्म और शुष्क हवा है. इसका सर्वाधिक प्रभाव स्विट्जरलैंड में होता है. इसके प्रभाव से अंगूर जल्दी पक जाते हैं.

(c) हरमट्टन: यह सहारा रेगिस्तान में उत्तर- पूरब दिशा में चलने वाली गर्म और शुष्क हवा है. यह पवन सहारा से गिनी तट की ओर बहती है.

Advertisement

(d) सिरॉको: यह सहारा मरुस्थल से भूमध्य सागर की ओर बहने वाली गर्म हवा है. इसके अन्य स्थानीय नाम भी हैं. जैसे- मिस्र में इसे खमसिन, लीबिया में गिबिली, ट्यूनिशिया में चिली, मैड्रिया में लेस्ट, इटली में सिरॉको और स्पेन में लेबेक कहते हैं.

(e) सिमूम: यह अरब रेगिस्तान में बहने वाली गर्म और शुष्क हवा है.

(f) ब्लैक रोलर: यह उत्तरी अमेरिका के विशाल मैदान में दक्षिणी- पश्चिमी या उत्तरी पश्चिमी में तेज धूल भरी चलने वाली आंधी है.

(g) ब्रिक फील्डर: यह ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में चलने वाली गर्म और शुष्क हवा है.

(h) नारवेस्टर: यह न्यूजीलैंड में उच्च पर्वतों से उतरने वाली गर्म और शुष्क हवा है.

(i) शामल: यह इराक और फारस का खाड़ी में चलने वाली गर्म और शुष्क हवा है.

(j) साण्टा आना: यह दक्षिणी कैलीफोर्निया में साण्टा आना घाटी से चलने वाली गर्म और शुष्क भरी धूल आंधी है.

(k) कोयमबैंग: यह जावा इण्डोनेशिया में बहने वाली गर्म हवा है. यह तम्बाकू की खेती को काफी नुकसान पहुंचाती है.

(i) जेट-प्रवाह (Jet Streams): क्षोभमंडल की ऊपरी परत में बहुत तीव्र गति से चलने वाले संकरे, नलिकाकार और विसर्पी पवन प्रवाह को जेट- प्रवाह कहते हैं. यह 6 से 12 किमी की ऊंचाई पर पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होता है. यह दोनों गोलार्द्धों में पाया जाता है.

Advertisement

कुछ अन्य गर्म हवाएं और स्थान:

नाम

ट्रैमोण्टेन

अयाला

वर्गस

सुखोवे

बाग्यो

गारिच

लू

सोलैनो

सामून

स्थान

मध्य यूरोप

फ्रांस

दक्षिण अफ्रीका

रूस और कजाखस्तान

फिलीपींस द्वीप- समूह

दक्षिण पूर्वी ईरान

उत्तर भारत

दक्षिण पूर्वी स्पेन

ईरान

 


Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement