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अफ्रीकी राजनयिकों ने पिछले सप्ताह ग्रेटर नोएडा में नाइजीरियाई छात्रों पर हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे 'विदेशियों के प्रति घृणा तथा नस्लीय प्रकृति' की घटना बताया.
बीते 31 मार्च को हुई घटना को लेकर राजनयिकों की बैठक के बाद जारी एक बयान के मुताबिक, 'ग्रेटर नोएडा में हालिया दुर्भाग्यपूर्ण घटना की अफ्रीकी देशों के दूत कड़ी निंदा करते हैं और अपनी गहरी चिंता जताते हैं. साथ ही इस बात का उल्लेख भी करना है कि इस तरह की निंदनीय घटनाओं की भारतीय अधिकारियों द्वारा जितनी निंदा की जानी चाहिए थी, उतनी नहीं की गई. बैठक में एकमत से इस बात पर सहमति जताई गई कि अफ्रीकियों के खिलाफ जो भी हमले हुए हैं, उनका कारण विदेशियों के प्रति घृणा तथा नस्लीय भेदभाव है.'
राष्ट्रीय राजधानी से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्रेटर नोएडा में बीते 27 मार्च को चार नाइजीरियाई हात्रों पर हमला किया गया था. यह हमला एक रिहायशी कॉलोनी के निवासी 12वीं कक्षा के एक छात्र की ड्रग्स के ओवरडोज से हुई मौत को लेकर एक विरोध-प्रदर्शन के बाद हुआ था. कैंडल लाइट प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों ने मादक पदार्थ बेचने के शक में नाइजीरियाई छात्रों की पिटाई कर दी थी.
घटना के एक दिन बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने घटना की निंदा की और 30 मार्च को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'इस तरह की आपराधिक गतिविधियां पूरी तरह अस्वीकार्य हैं और हम इसकी निंदा करते हैं.'
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस बारे में बातचीत की, जबकि विदेश राज्य मंत्री एम.जे.अकबर ने नाइजीरिया के कार्यकारी उच्चायुक्त से बातचीत की.
बागले ने कहा, 'कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने जिले में कई लोगों को गिरफ्तार किया और कई लोगों पर नजर रखी जा रही है. जांच जारी है और कानून सम्मत कार्रवाई होगी.'
अपने बयान में अफ्रीकी देशों के शीर्ष राजनयिकों ने कहा कि उन्होंने अफ्रीकी लोगों पर पहले किए गए हमलों की समीक्षा की और इस 'नतीजे पर पहुंचे कि भारत सरकार ने कोई ज्ञात, पर्याप्त व दिखने वाले कदम नहीं उठाए हैं.'
बयान के मुताबिक, 'वे भारत सरकार के उच्चतर राजनीतिक स्तर (राष्ट्रीय तथा स्थानीय) से घटना की निंदा करने की उम्मीद करते हैं, तथा साथ ही हमलावरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में तेजी लाने की भी उम्मीद करते हैं.'