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EXCLUSIVE: डोल्कन ईसा बोले- राजनीतिक औजार बन चुका है इंटरपोल

वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) के नेता और चीन के बागी डोल्कन ईसा भारत द्वारा अपना वीजा रद्द किए जाने के बाद यह मानते हैं कि चीन के दबाव में आकर ऐसा किया गया है. उनका यह भी मानना है कि भारत एशिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है.

वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) नेता डोल्कन ईसा वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) नेता डोल्कन ईसा
मुकेश कुमार
  • नई दिल्ली/म्यूनिख,
  • 12 मई 2016,
  • अपडेटेड 7:02 PM IST

वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) के नेता और चीन के बागी डोल्कन ईसा भारत द्वारा अपना वीजा रद्द किए जाने के बाद यह मानते हैं कि चीन के दबाव में आकर ऐसा किया गया है. उनका यह भी मानना है कि भारत एशिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. उसे चीन के दबाव में झुके बिना उइगर और तिब्बती समुदाय की हक की लड़ाई में साथ देना चाहिए और लोकतंत्र को बचाने में मदद करनी चाहिए. इंटरपोल द्वारा रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए जाने पर उनका कहना है कि इंटरपोल राजनीतिक औजार बन चुका है.
पेश है डोल्कन ईसा से खास बातचीत का दूसरा भाग...

सवाल: आपके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है. चीन आपको आतंकवादी मानता है. इसे कैसे लेते हैं आप?
डोल्कन ईसा: सरकार अपने फायदे के लिए इंटरपोल सिस्टम के साथ बड़ी कुशलता से छेड़छाड़ करती है. इसे राजनीतिक औजार की तरह इस्तेमाल किया जाता है. यदि इंटरपोल के नोटिस को गंभीरता से लिया गया होता तो जर्मनी इस पर मेरे खिलाफ कोई न कोई कार्यवाही जरूर करता. लेकिन यह साफ तौर पर नोटिस के राजनीतिकरण को दिखाता है.

सवाल: चीनी सरकार के खिलाफ विरोध की असली वजह क्या है? आपकी मुख्य मांगें क्या हैं? आप इस लड़ाई को कब तक जारी रखेंगे?
डोल्कन ईसा: साल 1980 से एक विद्यार्थी के रूप में मैं मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहा हूं. मेरे विरोध की सबसे बड़ी वजह शायद चीनी सरकार द्वारा दमन किए गए लोगों के प्रति मेरा समर्थन है. मैं इस पर काम कर रहा हूं ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे को समझ सके. वर्ल्ड उइगर कांग्रेस के उइगर समुदाय के लोगों के अधिकारों को शांतिपूर्वक, अहिंसक और लोकतांत्रिक तरीके से उनके राजनीतिक भविष्य को निश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करता है. हम यह संघर्ष तब तक जारी रखेंगे, जब तक पूरे उइगर समुदाय से उचित और न्यायपूर्वक व्यवहार नहीं होगा, जहां वे अपने जीवन को नियंत्रित और निर्धारित कर सकें.

सवाल: वर्ल्ड उइगर कांग्रेस क्या है? इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
डोल्कन ईसा: पूर्वी तुर्कीस्तान नेशनल कांग्रेस और वर्ल्ड उइगर यूथ कांग्रेस के विलय के बाद 16 अप्रैल 2004 में म्यूनिख (जर्मनी) में वर्ल्ड उइगर कांग्रेस की स्थापना हुई. हमारा उद्देश्य एक ऐसा समूह बनाना था, जो उइगर समुदाय के अधिकार संबंधी मुद्दों की ओर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींच सके. दुनिया में उइगर समुदाय की बहुत ज्यादा उपेक्षा हुई है. हमारा मुख्य फोकस इस बात को सुनिश्चित करना है कि चीन में मानवाधिकारों के मुद्दों के साथ-साथ इस मुद्दे को भी उठाया जाए.

सवाल: आप अपने फैमली बैकग्राउंड और लाइफ के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताइए.
डोल्कन ईसा: साल 1985 से इस कार्य के लिए मैं सक्रिय हूं. मैंने 1987 में यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स सांइस एंड कल्चर यूनियन की स्थापना की और पूर्वी तुर्कीस्तान में निरक्षरता खत्म करने, विज्ञान को प्रोत्साहन देने के कार्यक्रम और विद्यार्थियों का नेतृत्व करने का काम किया. 15 जून, 1988 को मेरे नेतृत्व में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ. उसके बाद मुझे चार महीने घर में नजरबंद कर दिया गया. छात्रों की मांगों के बारे में सरकारी अधिकारियों से चली 6 घंटे की बातचीत के बाद कोई सहमति नहीं बनने पर मुझे यूनिवर्सिटी से 1988 में निष्कासित कर दिया गया था. इसके बाद मैंने एक छोटा कारोबार किया.

1988 और 1990 के बीच चीनी सरकार की उइगर नीति के बारे में जानकारी इकट्ठी करने के लिए चीन और पूर्वी तुर्कीस्तान के विभिन्न शहरों की यात्रा की. 1990 से 1994 तक मैंने बीजिंग फॉरेन लेंग्वेज यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी और तुर्की भाषा सीखी. इसके बाद उइगर समुदाय के लिए प्रासंगिक इतिहास की पुस्तकों का अनुसरण करने और उनके वितरण में संलग्न हो गया. 1994 में मुझे चीन से निकलने के लिए मजबूर किया गया और मैं तुर्की आ गया. वहां से जर्मनी आ गया. अब मैं एक जर्मन नागरिक हूं.

इंटरव्यू का पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

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