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उत्तराखंडः यह रही सियासी पहलवानी

खली के शो के बहाने हरीश रावत बढ़त लेने की फिराक में तो विपक्ष की उन्हें पटखनी देने की कोशिश. इस शो के जरिए राज्य सरकार युवाओं में जोश भरकर इसे अपने पक्ष में भुनाने की रणनीति पर काम कर रही है.

अखिलेश पांडे
  • देहरादून,
  • 08 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

उत्तराखंड में कॉन्टिनेंटल रेस्लिंग एंटरटेनमेंट द ग्रेट खली रिटर्न्स शो की वजह से पिछले हफ्ते प्रदेश देशी-विदेशी पहलवानों का अड्डा बना और खूब सुर्खियों में रहा. इसके साथ ही प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर भी इसका सियासी असर देखने को मिला. विदेशी और देसी पहलवानों के करतब दिखाने से पहले ही इसको लेकर कांग्रेसी अखाड़ा दिलचस्प शो में बदल गया.

प्रदेश की एक कैबिनेट मंत्री इंदिरा हृदयेश ने इस बहाने अपनी ताकत दिखा मुख्यमंत्री को झकझोरा और उन्हें हृदयेश के निवास पर जाकर उन्हें मनाना तक पड़ा. मुख्यमंत्री बनने के बाद यह पहला मौका था जब हरीश रावत किसी मंत्री की नाराजगी दूर करने उसके निवास पहुंचे. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा ऐसा आए दिन करते रहते थे.

असल में हृदयेश अपने चुनाव क्षेत्र में आयोजित इस शो के पहले राउंड में अपने समर्थकों को पास न दिए जाने और अपनी उपेक्षा से नाराज थीं. उन्होंने मुख्यमंत्री समेत शो के आयोजकों और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का अपने समर्थकों से घेराव करवाया और एक तीर से कई निशाने साध लिए.

मुख्यमंत्री ने अपने किसी मंत्री या प्रतिद्वंद्वी के सामने कभी न झुकने और प्रदेश कांग्रेस में एकक्षत्र नेता की छवि बनाई थी, हृदयेश उसे तोड़ने में कामयाब हो गईं. ऐसे समय में जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और पार्टी सत्ता में वापसी का संदेश देना चाह रही है, इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. अगर सत्ता में कांग्रेस की वापसी हुई भी तो रावत को हृदयेश से चुनौती मिलेगी. इस तरह इससे हृदयेश को सियासी अखाड़े में अपनी मौजूदगी दर्ज करने का मौका मिला तो रावत के रसूख को झटका लगा है.

वहीं इस शो के जरिए राज्य सरकार युवाओं में जोश भरकर इसे अपने पक्ष में भुनाने की रणनीति पर काम कर रही है. देहरादून में शो के फाइनल राउंड के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, ''इस शो का समर्थन करने का मकसद प्रदेश में 2018 में होने वाले अंतरराष्ट्रीय खेलों के लिए सकारात्मक माहौल तैयार करना है. पूरा देश इस शो को देख रहा है. पूरी दुनिया में हम इस संदेश को पहुंचाने में बेहद कामयाब रहे हैं कि उत्तराखंड अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजन कर सकता है.''

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी और देहरादून में इस शो के सफल आयोजन और इसे राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में लाने के लिए दलीप सिंह राणा यानी खली का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने बताया कि इस शो के लिए राज्य सरकार ने पुलिस-प्रशासन को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया. उन्होंने कहा कि इस आयोजन से युवाओं में उमंग और उत्साह है. उन्होंने खली से पंजाब में संचालित उनकी रेस्लिंग एकेडमी की तर्ज पर प्रदेश में भी एक रेस्लिंग एकेडमी स्थापित करने का अनुरोध किया. रावत इसमें चुनावी सियासत का तड़का लगाना न भूले, ''खली के शो से प्रदेश में माहौल तो बना है, पर असली मुकाबला 2017 में होगा तब सियासत के रिंग के खली की परीक्षा होगी. मैं जनता का आशीर्वाद चाहता हूं. अगर आपने मुझे समर्थन दिया तो मैं राज्य में कई ऐसे काम कर दिखाऊंगा जिससे आप ऊर्जावान महसूस कर सकें.''

मुख्यमंत्री ने युवाओं को नशे के खिलाफ एकजुट होने और जंग छेड़ने का आह्वान किया. रावत ने कहा कि आने वाले समय में हम राज्य में कुश्ती, फुटबॉल और बालीबॉल लीग के भी आयोजन करने की कोशिश करेंगे. उन्होंने बताया कि अगर अक्तूबर, 2016 तक हल्द्वानी और देहरादून के अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम पूरी तरह तैयार हो जाएंगे, तो राज्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट मैच आयोजित किए जाएंगे और जनता भी उनका आनंद ले सकेगी.

मुख्यमंत्री जहां उत्साहित हैं और खुद को आगामी चुनावी समर का खली बताने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं विपक्षी बीजेपी इस आयोजन के बहाने उन्हें घेरने में लगी है. राज्य में बीजेपी के प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान कहते हैं, ''मुख्यमंत्री जिस आयोजन को खेलों का माहौल बनाने में सहायक बता रहे हैं, वह खेल की श्रेणी में ही नहीं आता. जब यह खेल न होकर मनोरंजन है तो इससे खेलों के प्रोत्साहन का सवाल ही नहीं, उलटा यह एक हिंसक आयोजन है. सरकार के मुखिया की जिम्मेदारी देश के संविधान की रक्षा करने की होती है, जबकि उनकी मौजूदगी में डेथ वारंट हस्ताक्षरित करके नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई गईं. इसके लिए इसके आयोजकों समेत संबंधित अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज होनी चाहिए.''

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट तो मुख्यमंत्री पर विदेशियों के हाथों देशवासियों को अपमानित कराने का आरोप लगा रहे हैं. भट्ट के मुताबिक, 'रेस्लरों की मुख्यमंत्री आवास पर पत्रकार वार्ता कराई गई, जिस दौरान एक विदेशी रेस्लर ने भारतीयों के लिए अपशब्द का इस्तेमाल किया. इस तरह के अपशब्दों के लिए खुद मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं.'' बीजेपी अध्यक्ष का कहना है कि इस प्रेस वार्ता को मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही उनके सलाहकारों ने मुख्यमंत्री कार्यालय के खर्च पर आयोजित कराया था. उन्होंने मांग की कि या तो मुख्यमंत्री को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए या फिर राज्यपाल को स्वयं इसका संज्ञान लेते हुए सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए.

प्रदेश का एनजीओ सीएम फॉर यूथ इस शो के आयोजकों में है और उसने बीजेपी नेताओं को भी शो में आमंत्रित किया था पर बीजेपी का कोई नेता नहीं पहुंचा. भट्ट ने इसका कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि देश में जहां पशुओं पर क्रूरता की वजह से परंपरागत खेलों को प्रतिबंधित किया गया है, वहीं इस प्रकार के हिंसक कार्यक्रमों को कैसे इजाजत दी जा सकती है.

इसको लेकर बीजेपी ने आयोजन पर कानूनी सवाल खड़े कर डाले. दूसरी ओर, मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार और शो के आयोजकों में शामिल रंजीत रावत ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ''यह विपक्ष की बौखलाहट है. इस आयोजन से प्रदेश के युवा उत्साहित हैं. काम करने वालों पर ही उंगलियां उठती हैं. कुछ तो लोग कहेंगे.'' उन्होंने शो के आयोजन में किसी प्रकार के सरकारी पैसे के दुरुपयोग को खारिज कर दिया.

जहां तक द ग्रेट खली रिटर्न्स का सवाल है, यह शो प्रदेश के हित में नजर आ रहा है, वहीं इसने सरकार को ऐसे आयोजनों के लिए और अधिक तैयारी करने का भी एहसास करा डाला. तमाम इंतजाम के बावजूद इस आयोजन से जिस तरह की अफरा-तफरी मची, उससे सरकार को आगे और अधिक बेहतर तरीके से ऐसे आयोजन करने का सबक मिला. हालांकि खली ने इस आयोजन के लिए सरकार से मिले सहयोग को अद्भुत बताया है और प्रदेश में अकादमी खोलने के सरकार के आमंत्रण पर गंभीरता से विचार करने की बात कही है. उनका कहना है, ''देश में ऐसे आयोजन कराकर मैं विदेशी रेस्लरों को एक-एक कर खुद और अपने चेलों के जरिए धूल चटाता रहूंगा.''

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