
हिंदी साहित्य के वरिष्ठ रचनाकारों में शुमार दूधनाथ सिंह के निधन के बाद साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके निधन के बाद साहित्य जगत के रचनाकार उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. बता दें कि दूधनाथ सिंह ने गुरुवार रात इलाहबाद के फीनिक्स हॉस्पिटल में अंतिम सांसें ली.
दूधनाथ सिंह प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे और उनका इलाज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स, में चल रहा था. पिछले कुछ दिनों से वे अपने इलाहाबाद स्थित आवास में थे. दूधनाथ सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1994 में रिटायर होने के बाद से इलाहाबाद में रहते थे.
मशहूर साहित्यकार दूधनाथ सिंह का निधन, ये थीं प्रमुख कृतियां
दूधनाथ सिंह जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष भी थें. उनके निधन पर जनवादी लेखक संघ ने फेसबुक के जरिए कहा है कि प्रख्यात कहानीकार और चर्चित उपन्यास 'आखिरी कलाम' के रचनाकार आदरणीय दूधनाथ सिंह का निधन हो गया. उनके निधन से जनवादी-प्रगतिशील साहित्याकाश से एक लाल सितारा टूट गया. यह हमारे लिए अपूरणीय क्षति है. श्रद्धेय दूधनाथ जी के प्रति कोटिश:श्रद्धांजलि.
वहीं उर्मिलेश उर्मिल ने भी उनके निधन संवेदनाएं व्यक्त की है. उन्होंने दूधनाथ सिंह के जीवन से जुड़ी कई बातें भी अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखी हैं. वहीं कई प्रकाशक भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. उनके उपन्यास आखिरी कलाम, निष्कासन, नमो अंधकारम हैं. दूधनाथ सिंह के कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं. इनमें 'सपाट चेहरे वाला आदमी', 'सुखांत', 'प्रेमकथा का अंत न कोई', 'माई का शोकगीत', 'धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे', 'तू फू', 'कथा समग्र' हैं.
वहीं व्योमेश शुक्ला ने फेसबुक पर दूधनाथ सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने लिखा है कि 'दूधनाथजी ने शक्तिपूजा में राम की याद में प्रिया सीता के आगमन को कवि की चेतना में उसकी परम अभिव्यक्ति अनिवार आत्मसंभवा की तरह पहचाना है. यह अंतर्दृष्टि, यह खोज एक मशाल की तरह हमारे भीतर जलती है. हम रोज इससे प्रतिकृत होते हैं. यह बात जैसे कभी न पूरी होगी. यह बात अनंत है. ऐसी कोई बात छंद छंद पर कुंकुम में नहीं है.' प्रभात रंजन ने उनके साथ अनुभव शेयर करते हुए उन्हें याद किया.
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वहीं, उनके तीन कविता संग्रह भी प्रकाशित हैं. इनके 'एक और भी आदमी है' और 'अगली शताब्दी के नाम' और 'युवा खुशबू' हैं. इसके अलावा उन्होंने एक लंबी कविता- 'सुरंग से लौटते हुए' भी लिखी है. दूधनाथ ने यमगाथा नाम का नाटक भी लिखा है. आलोचना में उन्होंने 'निराला: आत्महंता आस्था', 'महादेवी', 'मुक्तिबोध: साहित्य में नई प्रवृत्तियां' जैसी स्थापनाएं दी हैं.