
याकूब मेमन को गुरुवार सुबह फांसी पर लटकाने के साथ ही नागपुर जेल में पिछले 31 सालों में पहली बार किसी दोषी को फांसी दी गई. साथ ही पिछले 10 साल में देश में फांसी दिए जाने का यह चौथा मामला है.
1993 के मुंबई विस्फोट मामले में दोषी करार दिए गए 53 साल के याकूब को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुबह 7 बजे नागपुर केंद्रीय कारागार में फांसी दी गई. इससे पहले 1984 में अमरावती के रहने वाले वानखेड़े भाइयों को नागपुर जेल में फांसी दी गई थी. उन्हें हत्या के एक मामले में दोषी पाया गया था.
2001 में संसद पर हुए हमले के मामले में दोषी पाए गए मोहम्मद अफजल गुरु को नौ फरवरी, 2013 को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया गया था. 21 नवंबर, 2012 को 2008 के मुंबई आतंकी हमले के दोषी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई थी.
14 अगस्त, 2004 को पश्चिम बंगाल के अलीपुर केंद्रीय कारागार में धनंजय चटर्जी को उसके 42वें जन्मदिन पर फांसी पर लटकाया गया था. उसे एक किशोरी के बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया था.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के जेल संबंधी आंकड़े के अनुसार, सबसे ज्यादा 186 मौत की सजाएं साल 2007 में सुनाई गईं, जबकि 2005 में यह संख्या 164 थी. आधिकारिक आंकड़े के अनुसार इस अवधि में 3,751 मौत की सजाओं को उम्रकैद में बदला गया था.
इनपुट: भाषा