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यशवंत सिन्हा का मोदी पर भरोसा, कहा- इस बार PAK को मिलेगा करारा जवाब

दो बातें तुरंत होनी चाहिए, एक सिंधु नदी जल संधि निरस्त करने और दूसरा मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा पाकिस्तान से वापिस लेना. कुछ जरूरी गैर सैन्य कार्रवाई के बारे में भी सोच सकते हैं. इनसे पाकिस्तान के लिए समस्या पैदा होगी.

यशवंत सिन्हा यशवंत सिन्हा
रीमा पाराशर
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:32 AM IST

उरी हमले के बाद आखिर पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर भारत क्या कदम उठाए, इसे लेकर देशभर में बहस जारी है. भारत के विकल्पों पर पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने 'आज तक' से खास बातचीत की.

उरी हमले के बाद अब भारत को क्या कदम उठाना चाहिए?
जवाब: मैं पूरी तरह इसके पक्ष में हूं कि उरी के बाद भारत को पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. इसमें सैन्य कार्रवाई भी शामिल होनी चाहिए, आखिर कब तक भारत पिटता रहेगा. एक बार दिल कड़ा करके पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए. सैन्य कार्रवाई क्या हो ये आर्म्ड फोर्सेज पर छोड़ देना चाहिए. आतंकियों के पास पहुंचकर उन्हें मारने की इजाजत अंतर्राष्ट्रीय कानून भी देता है, इसके बाद अगर पाकिस्तान युद्ध चाहेगा तो हमें लड़ना होगा.

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सरकार ने सिंधु जल संधि खत्म करने के संकेत दिए, क्या ये अच्छा रास्ता होगा?
जवाब: दो बातें तुरंत होनी चाहिए, एक सिंधु नदी जल संधि निरस्त करने और दूसरा मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा पाकिस्तान से वापिस लेना. कुछ जरूरी गैर सैन्य कार्रवाई के बारे में भी सोच सकते हैं. इनसे पाकिस्तान के लिए समस्या पैदा होगी.

ऐसे कदम से अंतरराष्ट्रीय समुदाय से क्या प्रतिक्रिया आ सकती है? क्या वो भारत पर दबाव बनाएंगे?
जवाब: गली में दो लोग जब लड़ते हैं तो बाहर वाले सबसे पहले उन्हें छुड़ाते हैं. कहते हैं यार ये सब मत करो ठीक से रहो. आप अपने हित में कुछ कड़ी कार्रवाई करें तो दुनिया कुछ कह सकती है कि अच्छे बच्चों की तरह रहो, लेकिन क्या हम पीटते रहें. सिंधु समझौते से जम्मू-कश्मीर के लोगों को 80 परसेंट पानी नहीं मिलता, वो क्यों सफर करते हैं. पाकिस्तान भारत को दुश्मन देश मानता है. मुशर्रफ ने अपनी किताब में बार-बार ये कहा है. इसे ध्यान में रखकर हमें नीति बनानी होगी.

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सरकार खासकर नरेंद्र मोदी ने चुनाव में पाकिस्तान के खिलाफ कई वादे किए, लेकिन आरोप लग रहे हैं कि अब वो ढिलाई बरत रही है. क्या उम्मीद है सरकार से?
जवाब: सरकार के बयान से लग रहा है, इस बार कुछ होगा, वो कुछ करेगी. सब कुछ एकदम से नहीं होता, सोचने-समझने में समय लगता है. 1971 में बांग्लादेश के खिलाफ लड़ाई के समय सेना को 9 महीने तैयारी का समय दिया गया था तो इसमें 9 महीने या हफ्ते लग सकते हैं. कब करना है ये सरकार देखेगी.

प्रधानमंत्री ने वॉर रूम में बैठक की, मुआयना किया इसके क्या मायने हैं?
जवाब: वॉर रूम में एक मैप होता है, जिसमें सभी देशों की जानकारी होती है. हर सरकार में ऐसा होता है कि जब ऐसी स्थति पैदा हो तो चर्चा वहीं जाकर होती है, क्योंकि वो आसान रहता है. इसका मतलब ये नहीं की युद्ध हो रहा है. ये एक सामान्य प्रक्रिया है.

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