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अर्थव्यवस्था पर जारी है 'महाभारत', BJP बोली- कौरवों के साथ हैं यशवंत

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा है कि 'उनका यह कहना कि वह भीष्म की तरह हैं, यह स्वीकार करना भी है कि वह कौरवों की तरफ हैं'. बलूनी ने कहा कि यशवंत सिन्हा ‘‘भ्रष्ट और गरीब विरोधी’’ पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के सहयोगी के तौर पर काम कर रहे हैं.

मनीष तिवारी के कार्यक्रम में दिखे यशवंत सिन्हा मनीष तिवारी के कार्यक्रम में दिखे यशवंत सिन्हा
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 06 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 8:27 AM IST

अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर देशभर में चर्चा जोरों पर है, लेकिन सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी में इसको लेकर 'महाभारत' छिड़ी हुई है. अब तक शल्य, भीष्म, दुर्योधन और दुशासन का जिक्र हो रहा था, लेकिन अब कौरवों की भी एंट्री हो गई है.

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा है कि 'उनका यह कहना कि वह भीष्म की तरह हैं, यह स्वीकार करना भी है कि वह कौरवों की तरफ हैं'. बलूनी ने कहा कि यशवंत सिन्हा ‘‘भ्रष्ट और गरीब विरोधी’’ पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के सहयोगी के तौर पर काम कर रहे हैं.

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कांग्रेस से मिल रहा ज्ञान

उन्होंने कहा, ‘‘यह आज स्पष्ट हो गया है कि उन्हें उनका ज्ञान कहां से प्राप्त हो रहा है. कांग्रेस के एक नेता के कार्यक्रम में उनका मौजूद रहना यह दिखाता है कि उनके अर्थशास्त्र को कौन प्रभावित कर रहे हैं, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.’’’

मोदी के शल्य बनाम यशवंत का भीष्म

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी कि कुछ लोग महाभारत के एक अन्य पात्र शल्य की तरह निराशावाद फैला रहे हैं, सिन्हा ने इसपर जवाब देते हुए कहा था कि वह भीष्म की तरह हैं और वह अर्थव्यवस्था का चीरहरण नहीं होने देंगे.

दुर्योधन और दुशासन

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की किताब के विमोचन के मौके गुरुवार को यशवंत सिन्हा ने कहा, 'आजकल महाभारत में शल्य के चरित्र की चर्चा है, महाभारत में और भी चरित्र हैं, 100 कौरव थे, लेकिन हर कोई सिर्फ दो को जानता है दुर्योधन और दुशासन'. उन्होंने कहा कि इससे ज़्यादा उन्हें कुछ कहने की और ज़रूरत है?

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बिना नाम लिए PM पर वार!

यशवंत सिन्हा ने आगे कहा कि पार्टी अगर उनके खिलाफ एक्शन लेती है तो वो उनकी ज़िन्दगी का सबसे अच्छा दिन होगा. पिता-पुत्र के बीच विवाद बनाकर असल मुद्दे को भटकाने की कोशिश हुई, लेकिन हो ना सका फिर ब्रिक्स में पद पाने की चाहत का झूठा आरोप लगाया गया. वो सब कुछ चला नहीं. अगर चला होता तो उनको लंबा भाषण नहीं देना पड़ता.

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