
जब भी किसी हादसे में कोई जिंदगी खत्म होती है, हमारे दिल में कसक उठती है कि काश हम उन्हें बचा पाते. ये हादसे हर बार हमें इस बात का अहसास दिलाते हैं कि हमने जो सभ्यता बनाई है, उसमें अभी भी कितनी खामियां हैं. हर बार हम इन खामियों को दूर करने का वादा और दावा करते हैं, लेकिन हर बार एक नई खामी कुछ सांसें रोक देती है. इन खामियों का नतीजा उन निर्दोषों को भी भुगतना होता है, जो अभी कोंपल से बाहर भी नहीं आ पाए, मतलब बच्चे. हर बार ये हादसे हमारी लाचारगी का अहसास करा जाते हैं.
हम कुछ ऐसे ही हादसों को याद कर रहे हैं, जिन्होंने साल 2017 में उन आंखों को भी नम किया, जिनका कोई सगा-संबंधी उन हादसों की भेंट नहीं चढ़ा. जब वे हाथ भी मदद में उठे, जिनके हाथ पकड़ने के लिए उनका कोई सगा नहीं था. ये हादसे हमें अपनी खामियां, अपनी लाचारगी तो बताते ही हैं, साथ ही हमें एक बार फिर से इंसान होने के अहसास से भी भर जाते हैं.
एलफिंस्टन ब्रिज हादसा
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 29 सितंबर को सुबह के 10.30 के आस-पास का समय था. एलफिंस्टन और परेल रेलवे स्टेशन को जोड़ने वाली 106 साल पुराने फुटओवर ब्रिज मची भगदड़ के चलते 30 मिनट के अंदर ब्रिज लाशों से बिछ जाती है. घायल पड़े करार रहे होते हैं, लोग एक दूसरे पर चढ़े अपनी जान बचाते दिखते हैं, रेलिंग से लटके पड़े हैं. एलफिंस्टन ब्रिज का यह दृश्य सदियों तक देशवासियों के जेहन में रहेगा और कुरेदता रहेगा. इस हादसे में 22 लोगों की मौत हुई और 35 के करीब लोग घायल हुए. रेलवे विभाग और नए-नए रेलमंत्री बने पीयूष गोयल एकबार फिर निशाने पर आ गए. इस बीच भगदड़ में मारे गए लोगों के माथे पर नंबर चिपकाने को लेकर अस्पताल और डॉक्टर के प्रति लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. हादसे के खिलाफ लोगों ने धरना प्रदर्शन भी किया. आखिरकार जनदबाव के बीच सरकार चारों हाथों पैरों से चूक की भरपाई करने में जुट गई. सप्ताह भर के अंदर कई मंत्रियों ने मुंबई का दौरा किया और एलफिंस्टन ब्रिज की जगह तीन नए ब्रिजों के निर्माण की घोषणा कर दी गई. नए ब्रिजों का निर्माण रेलवे सेना के साथ मिलकर करेगी. जानिए कब, कैसे और कहां हुआ हादसा
रायबरेली NTPC बॉयलर ब्लास्ट
उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुए इस भयावह हादसे ने सभी का कलेजा हिला दिया. 1 नवंबर की देर शाम NTPC प्लांट में बॉयलर फट गया, जिसमें प्लांट में काम कर रहे 32 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा मजदूर झुलस गए. हादसे के बाद प्लांट के अंदर मजदूरों की जली-अधजली लाशों का मंजर बेहद विभत्स था. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बॉयलर के पास काम कर रहे मजदूरों के तो परखच्चे उड़ गए, चारों और गर्म लावे जैसी राख का गुबार फैल गया था और जो जहां काम कर रहा था वहीं उसी अवस्था में काल के गाल में समा गया. शुरुआती जांच में NTPC की खामियां उजागर हुईं, जिसे NTPC ने बाद में स्वीकार कर लिया. BSP सुप्रीमो मायावती सहित विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सिर हादसे का आरोप मढ़ दिया.
इस बीच गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर गुजरात में डेरा डाले रायबरेली के सांसद राहुल गांधी चुनाव प्रचार बीच में छोड़कर हालात का जायजा लेने रायबरेली पहुंचे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हादसे के वक्त मॉरिशस की यात्रा पर थे और लौटते ही वह भी रायबरेली गए. आजतक भी सही स्थिति जानने सीधा एनटीपीसी प्लांट पहुंचा और हादसे की असली वजह खोज निकाली. आजतक के खुलासे के अनुसार, बॉयलर दोपहर 12 बजे के करीब ही ट्रिप कर गया था, इसके बावजूद उसे दोबारा चलाया गया. राज्य सरकार ने हादसे में मरने वाले लोगों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये जबकि गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की. ये है NTPC प्लांट में ब्लास्ट का पूरा सच
सिमरिया घाट भगदड़
बिहार में बेगूसराय के सिमरिया घाट पर 4 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नान करने आए श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ मचने से तीन लोगों की मौत हो गई. हालांकि बेगूसराय के बीजेपी सांसद भोला सिंह ने एक दरोगा सहित 7 लोगों के मरने का दावा किया. वैसे तो सिमरिया घाट पर हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं. लेकिन इस बार चूंकि बिहार सरकार ने सिमरिया घाट पर अर्धकुंभ के आयोजन की घोषणा कर रखी थी, जिसके चलते श्रद्धालुओं की भीड़ कुछ ज्यादा ही उमड़ पड़ी. वहीं हादसे को लेकर इसीलिए ज्यादा तीखे आरोप भी लगे, कि जब सरकार ने इसे इतनी बड़ी आयोजन घोषित किया था तो पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त क्यों नहीं किए गए और प्रबंधन में भी लापरवाही के आरोप लगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के परिजनों के लिए 4-4 लाख रुपये आर्थिक मदद की घोषणा की. हालांकि स्थानी बीजेपी सांसद भोला सिंह ने हादसे की जांच कराने की मांग कर डाली. देखिए भगदड़ का पूरा वीडियो
गाजीपुर लैंडफिल विस्फोट
राजधानी दिल्ली की पूर्वी सीमा पर गाजीपुर में कचरे के पहाड़ जैसे ढेर में 1 सितंबर को तेज विस्फोट हुआ और कचरे के पहाड़ का एक हिस्सा गिर पड़ा. कूड़े के पहाड़ से सटी सड़क पर यात्रा कर रहे 6 लोग इसकी चपेट में आ गए और सड़क से सटी नहर में जा गिरे. हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई, जबकि 4 लोगों को जीवित निकाल लिया गया. इस हादसे में जान-माल का ज्यादा नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन इसने महानगरों से निकलने वाले कचरों को लेकर अलार्म बजाने का काम किया. इस तरह के कूड़े के ढेर दिल्ली के हर कोने में हैं. कचरे के निपटान के लिए जगह की इतनी कमी है कि निर्धारित लैंडफिल साइट्स पर कूड़ा फेंकते-फेंकते कूड़े का पहाड़ तैयार हो जाता है. यह हादसों को न्यौता देने वाला तो होता ही है, आस-पास बसी बस्तियों के लिए चौबीसों घंटे 365 दिन के लिए नासूर बन जाता है. इस हादसे के बाद गाजीपुर के कूड़े के पहाड़ में आग लग जाती है और करीब हफ्ते भर जलती रहती है.
इसी समय स्मॉग के चलते दिल्ली की दम घुट रहा था. बहरहाल कोर्ट के आदेश पर गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कूड़ा फेंकने पर प्रतिबंध तो लगा दिया गया है, लेकिन आस-पास की बस्तियों में रहने वाले लोगों का जीवन इस कूड़े के पहाड़ ने अभी भी दूभर बनाया हुआ है. जानलेवा हुआ उत्तर भारत का सबसे बड़ा डंपिंग यॉर्ड
मुंबई: भिंडी बाजार में ढही इमारत में दब गए दर्जनों
यह हादसा व्यवस्था के पटरी से उतर चुकने का एक और उदाहरण है. मुंबई से हर बारिश में इस तरह के हादसों की खबरें आती रहती हैं और BMC को इसके लिए आरोपी ठहराया जाता रहा है. BMC भी हर बार इस तरह के हादसे होने पर कुछ दिनों के लिए तो जागती है, लेकिन फिर अगले हादसे तक सो जाती है. मुंबई के भेंडी बाजार में 31 अगस्त की सुबह बारिश और जलभराव की समस्याओं के बीच एक बहुमंजिली इमारत ढह गई. हादसे में 34 लोगों की मौत हो गई. हादसे के बाद राहत एवं बचाव कार्य का जायजा लेने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद मौके पर पहुंचे. उन्होंने हादसे में मरने वाले लोगों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की. साथ ही लापरवाही का जिम्मेदार पाए जाने वाले अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भी भरोसा दिलाया. लेकिन मुंबई और इस तरह के महानगरों में वर्षों से यह सवाल मुंह बाए खड़ा है कि हम कब तक लापरवाही की नींद सोते रहेंगे और लोगों को मरने देते रहेंगे. देखिए दर्दनाक तस्वीरें
इस साल भी बेपटरी रही ट्रेन
बीते साल की तरह की इस साल भी ट्रेन हादसों का सिलसिला जारी रहा. बल्कि इस कदर रहा कि केंद्र सरकार को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी किसी और को सौंपनी पड़ी. सुरेश प्रभु से रेल मंत्रालय छीन लिया गया और पीयूष गोयल को जिम्मेदारी सौंपी गई. साल के पहले ही महीने में 22 जनवरी को आंध्र प्रदेश के विजयनगरम ज़िले में हीराखंड एक्सप्रेस के आठ डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें 39 लोगों की मौत हो गई. साल का दूसरा भीषण रेल हादसा 19 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुआ. पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन के 14 डिब्बे मुजफ्फरनगर के खतौली रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतर गए और अगल-बगल के घरों और एक स्कूल में जा घुसे, हादसे में 23 लोगों की मौत हो गई और 100 के करीब लोग घायल हुए.
जानें कब-कब पटरी से उतरीं ट्रेनें
20 फरवरी: दिल्ली जा रही कालिंदी एक्सप्रेस यूपी के टुंडला जंक्शन पर एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिसमें तीन डिब्बे और इंजन पटरी से उतर गए.
3 मार्च: भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में कथित रूप से आतंकी धमाका हुआ. यह घटना कालापीपल और सीहोर रेलवे स्टेशन के बीच हुआ. इसमें 8 लोग घायल हुए थे.
17 मार्च: बंगलुरु के चित्रदुर्ग में एक एंबुलेंस की ट्रेन से भिड़ंत होने के चलते चार महिलाओं की मौत हो गई.
30 मार्च: यूपी के कुलपहाड़ स्टेशन के करीब लाडपुर और सूपा के बीच महाकौशल एक्सप्रेस डिरेल हो गई. इस घटना में 52 लोग घायल हो गए थे.
9 अप्रैल: पश्चिम के दक्षिण पूर्वी रेलवे के हावड़ा-खड़गपुर खंड के पास एक मालगाड़ी का इंजन ही पटरी से उतर गया. हालांकि इस घटना में जानमाल को नुकसान नहीं हुआ.
15 अप्रैल: मेरठ से लखनऊ जा रही राज्यरानी इंटरसिटी एक्सप्रेस के करीब आठ डिब्बे रामपुर में कोसी पुल के पास पटरी से उतर गए. हादसे में करीब 60 लोग घायल हुए.
23 अप्रैल: बिहार में भी सहरसा-पटना राज्यरानी एक्सप्रेस की दो बोगियां एक रेलवे स्टेशन पर पटरी से उतर गईं. हालांकि घटना में कोई हताहत नहीं हुआ.
21 मई: उन्नाव रेलवे स्टेशन पर लोकमान्य तिलक सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतर गई. ट्रेन के आठ डिब्बे पटरी से उतर गए थे.