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यमन की जंग में जब भाग खड़े हुए पूर्व PAK सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ के जवान

इसके अलावा दावा ये भी किया गया है कि सऊदी अरब के बॉर्डर के पास हमले में कई जवानों को मारा गया है. इन जवानों की अगुवाई पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ कर रहे थे.

यमन का विद्रोही ग्रुप हूती (फोटो: AP) यमन का विद्रोही ग्रुप हूती (फोटो: AP)
aajtak.in
  • यमन,
  • 02 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 10:14 AM IST

  • यमन-सऊदी अरब में जारी है संघर्ष
  • हूती का कई जवानों को मारने का दावा
  • राहिल शरीफ कर रहे हैं जवानों की अगुवाई

सऊदी अरब के दो तेल संयत्रों पर हुए ड्रोन हमले के बाद से ही हालात बिगड़ते जा रहे हैं. अब यमन के विद्रोही ग्रुप हूती ने दावा किया है कि उनके पास हजारों की संख्या में सऊदी अरब के जवान बंदी हैं. इसके अलावा दावा ये भी किया गया है कि सऊदी अरब के बॉर्डर के पास हमले में कई जवानों को मारा गया है. इन जवानों की अगुवाई पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ कर रहे थे.

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यमन के विद्रोही ग्रुप हूती ने रविवार को एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें सऊदी अरब के दक्षिणी बॉर्डर के पास नजरान में हमला किया गया. जिसमें सैकड़ों जवान मारे गए और बाद में हजारों जवानों ने सरेंडर कर दिया था. इसमें तीन ब्रिगेड की अगुवाई पाकिस्तानी सेना के पूर्व प्रमुख राहिल शरीफ कर रहे थे.

हूती विद्रोही ग्रुप के प्रवक्ता के अनुसार सऊदी अरब की ओर से आने वाले जवान जब हजारों की संख्या में आ रहे थे, तब ड्रोन हमले में 200 से अधिक जवानों की हत्या हुई है.

बता दें कि ये ब्रिगेड इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेररिज्म गठबंधन (IMCTC) के तहत आती है, जिसकी अगुवाई राहिल शरीफ कर रहे थे. मिडिल ईस्ट देशों की ओर से ISIS और विद्रोही ग्रुपों के खिलाफ लड़ाई के लिए इसे बनाया गया है. राहिल शरीफ इस ग्रुप के पहले कमांडर इन चीफ हैं.

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आपको बता दें कि बीते दिनों सऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको के दो तेल संयंत्रों पर ड्रोन से हमला हुआ था, यहां पर करीब दर्जनभर ड्रोन भेजे गए थे. इन हमलों की जिम्मेदारी भी हूती ग्रुप ने ही ली थी. इसी हमले के बाद अमेरिका ने सऊदी अरब में अपने जवान भेजने की बात कही थी. अमेरिका की ओर से इस हमले का ठीकरा ईरान पर फोड़ा गया था.

कब से जारी है संघर्ष?

गौरतलब है कि यमन में पिछले चार साल से संघर्ष जारी है. शुरुआत में हूती के इन विद्रोहियों ने राजधानी सना पर कब्जा किया था और बाद में कब्जा देश के ज्यादातर हिस्सों पर हो गया. तब इस हमले के कारण यमन के राष्ट्रपति अब्दरबू मंसूर हादी को देश छोड़ना पड़ा था, अब सऊदी हादी के समर्थन में है और विद्रोहियों के खिलाफ जंग कर रहा है.

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