
योग को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए एक संपूर्ण अभ्यास करार देते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कहा कि प्राचीन परंपरा को किसी खास धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
राजस्थान के बूंदी के शहर काजी अब्दुल शकूर ने कहा कि योग मानसिक व शारीरिक सेहत के लिए बेहतर है. उन्होंने मुद्दे के राजनीतिकरण पर दुख जताया.
अब्दुल शकूर ने कहा कि वह मुस्लिम समुदाय के लोगों सहित हर किसी से योग अपनाने को कहेंगे. उन्होंने कहा कि वह खुद भी योग करते हैं और इसे किसी धर्म या समुदाय से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
काजी ने कहा कि रमजान के 18 जून से शुरू होने की संभावना है, नहीं तो वह भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर होने वाले योग कार्यक्रम में भाग लेते.
हालांकि काजी ने सूर्य नमस्कार पर यह कहकर आपत्ति जताई कि इस्लाम केवल सृष्टा की इबादत में यकीन करता है, न कि उसकी रचनाओं में.
'योग मानव के विकास के लिए बेहतर'
कोटा के शहर काजी अनवार अहमद ने कहा कि योग मानव के संपूर्ण विकास के लिए परिपूर्ण अभ्यास है. उन्होंने कहा कि योग सामान्य तौर पर अभ्यास का एक आदर्श रूप है और लोगों को इसे किसी धर्म से जोड़े बिना स्वीकार करना चाहिए.
अहमद ने कहा कि नमाज अता करना भी योगासनों के समान है. यदि इच्छा है, तो हर किसी को योग करना चाहिए.
कोटा में एक एनजीओ के अध्यक्ष अहमद ने कहा कि योग बहुत सी बीमारियों का इलाज करता है. यहां तक कि डॉक्टर भी इसके लिए कहते हैं. उन्होंने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर अपने परिवार सहित योग सत्र में शामिल होंगे.
इस बीच, बूंदी की जिला कलेक्टर नेहा गिरि ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी कर कहा कि इसमें भाग लेना किसी भी समुदाय या धर्म के लोगों के लिए जरूरी नहीं है.
इनपुट: भाषा