
बीजेपी को पंजाब के गुरुदासपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में करारी हार मिली है. गुरुदासपुर की हार ने मोदी मैजिक के नाम पर जीत का ख्वाब देखने वालों की भी नींद उड़ा दी है. बीजेपी के दुर्ग कहे जाने वाले गोरखपुर और डिप्टी CM केशव मौर्य के क्षेत्र फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने है. योगी की पहली अग्निपरिक्षा इन दोनों सीटों को अपने पास रखने की चुनौती है. जबकि विपक्ष उन्हें घेराबंदी करने की पूरी तैयारी कर रखी है. ऐसे में अब देखना होगा कि योगी और केशव किस तरह से विपक्ष की रणनीति को भेदकर अपने-अपने गढ़ को बरकरार रखते हैं?
दरअसल गोरखपुर और फूलपुर के गणित को अगर देखा-परखा जाए तो दोनों संसदीय क्षेत्रों में बड़ी दिलचस्प लड़ाई रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी को इन सीटों पर सभी विपक्षी दलों को मिले कुल वोटों से भी ज्यादा वोट मिले थे. पर अब वह रंग फीका पड़ने लगा है. यही वजह है कि बीजेपी को दोनों सीटों पर अपना वर्चस्व कायम रखना एक बड़ी चुनौती है.
केशव अपना गढ़ बचाने की कवायद में
गुरुदासपुर की हार से डिप्टी CM केशव मार्य भी सचेत हो गए हैं. यही वजह है चुनाव आयोग के ऐलान से पहले केशव मौर्य अपने गढ़ को मजबूत करने में लगे हैं, ताकि फूलपुर सीट की जीत को बरकरार रख सके. इसी कड़ी में उन्होंने बीएसपी को तगड़ा झटका दिया है. रविवार को बीएसपी के तीन पूर्व विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया. इनमें नीरज मौर्य, गुरु प्रसाद मौर्य और दीपक पटेल के नाम शामिल हैं.
दीपक पटेल इलाहाबाद की करछना सीट से विधायक रहे तो वहीं गुरु प्रसाद मौर्य फाफामऊ से विधायक रहे हैं. इलाहाबाद से चार बार की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकीं केसरी देवी भी बीजेपी में शामिल हुई हैं. इसके अलावा बसपा से दो बार शाहजहांपुर की जलालाबाद विधानसभा सीट से विधायक रहे नीरज मौर्य ने भी बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है.
नेहरू की सीट रही फूलपुर
फूलपुर लोकसभा सीट की अगर बात करें, तो यह कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं और तीन बार इसी सीट से चुनकर लोकसभा पहुंचे.
बीजेपी का पहली बार खुला था खाता
बीजेपी पहली बार 2014 में मोदी लहर में फूलपुर लोकसभा सीट पर जीतने में कामयाब रही थी. केशव मौर्य इसी सीट 2014 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने थे, लेकिन यूपी के डिप्टी CM बन जाने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
चार बार एसपी जीती
बता दें फूलपुर सीट पर एसपी का भी मजबूत जनाधार है. यही वजह है कि 1996 से लेकर 2004 तक समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार लगातार जीतता रहा है. उससे पहले दो बार इस सीट पर जनता दल विजयी रहा, जबकि 2009 में बीएसपी ने जीत दर्ज की थी. ऐसे में बीजेपी के लिए फूलपुर सीट को बरकरार रखना सबसे बड़ी चुनौती है.
फूलपुर का जातिय समीकरण
फूलपुर में जातीय समीकरण काफी दिलचस्प है. इस संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा पटेल मतदाता हैं, जिनकी संख्या करीब सवा दो लाख है. मुस्लिम, यादव और कायस्थ मतदाताओं की संख्या भी इसी के आसपास है. लगभग डेढ़ लाख ब्राह्मण और एक लाख से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. सपा य़हां से पटेल उम्मीदवार मैदान में उतराने का मन बना रही है. इसके अलावा पिछले दिनों इस क्षेत्र में कद्दावर नेता इंद्रजीत सरोज ने सपा का दामन थामा है.
बीजेपी का दुर्ग गोरखपुर
गोरखपुर बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती है, इसीलिए गोरखपुर को बीजेपी का दुर्ग कहा जाता है. महंत अवैद्यनाथ ने 1989 में हिंदू महासभा के टिकट पर चुनाव के जीत का जो सिलसला शुरू किया, वह आज भी जारी है. महंत अवैद्यनाथ गोरखपुर से चार बार सांसद रहे, 1970 में निर्दलीय, 1989 में हिंदू महासभा, और फिर 1991 व 1996 में बीजेपी से लोकसभा सदस्य बने.
योगी पांच बार सांसद बने
गोरखुपर में महंत अवैद्यनाथ की राजनीतिक विरासत को योगी आदित्यनाथ ने 1998 में संभाला तो फिर पलटकर नहीं देखा. पिछले पांच बार से लगातार योगी बीजेपी के टिकट से संसद पहुंचते रहें. चाहे बीएसपी की सोशल इंजीनियरिंग रही हो या फिर अखिलेश का समाजवाद, कभी उनके सामने चुनौती नहीं बन सका और उनके जीत का सिलसिला लगातार जारी रहा.
गोरखपुर में विपक्ष का जीतना आसान नहीं
मार्च 2017 में योगी के यूपी के सीएम बन जाने से गोरखपुर लोकसभा सीट खाली हो गई है. ऐसे में योगी के सामने बीजेपी के दुर्ग को बचाने के लिए अग्निपरिक्षा से गुजरना होगा. गोरखपुर लोकसभा सीट 2014 के हिसाब से कुल 10,40,199 मत था, जिनमें से योगी को 5,39,127 मत हासिल हुए थे, दूसरी ओर एसपी को 2,26,344 वोट, बसपा को 1,76, 412 और कांग्रेस को 45,719 वोट मिले. ऐसे में योगी को अकेले ही इन तीनों पार्टी से ज्यादा वोट मिला था. इस तरह विपक्ष के लिए योगी के दुर्ग में सेंध लगाना आसान नहीं होगा.