
लखनऊ में सत्ता के गलियारों पर भगवा परचम फहरा चुका है. अब लोगों को योगी आदित्यनाथ सरकार से उम्मीद है वायदों पर खरा उतरने की. बीजेपी के वायदों की फेहरिस्त में किसानों की कर्ज माफी के साथ राज्य में चल रहे पशु कत्लखानों को बंद करवाना सबसे ऊपर था. लेकिन खुद बीजेपी के भीतर भी इस बात को लेकर असमंजस है कि कत्लखानों को बंद करने के फैसले पर कैसे अमल होगा?
कैसे बंद होंगे मशीनी कत्लखाने?
चुनाव के वक्त जारी बीजेपी के संकल्प पत्र के तीसरे पन्ने पर अवैध और यांत्रिक कत्लखानों को बंद करने का भरोसा दिलाया गया है. कानून की अनदेखी करके चल रहे बूचड़खानों को बंद करना कोई कठिन काम नहीं है लेकिन सरकार की मंजूरी से चल रहे यांत्रिक कत्लखानों पर ताला लगवाना नई सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
कानूनी तौर पर वैध हैं यांत्रिक कत्लखाने
यूपी के कई जिलों में मशीनी कत्लखाने हजारों लोगों की रोजी-रोटी का जरिया हैं. इनमें हर काम मशीन से होता है. ऐसे कत्लखानों में भैंस का मांस तैयार किया जाता है. देश में महाराष्ट्र के साथ यूपी से ही सबसे ज्यादा मांस निर्यात होता है. ऐसी इकाइयों के पास केंद्र का लाइसेंस भी होता है. ऐसे में सवाल है कि क्या लाइसेंस होने के बावजूद इन कत्लखानों को बंद करवा दिया जाएगा? क्या इस तरह का कोई भी फैसला अदालत में टिक पाएगा?
इलाहाबाद में कार्रवाई
हालांकि योगी सरकार सत्ता संभालते ही इस वायदे पर खरा उतरने की कोशिश कर रही हैं. सोमवार को इलाहाबाद नगर निगम ने शहर में चल रहे दो अवैध कत्लखानों को बंद करवाया.