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यूपी: कानून व्यवस्था पर घिरी योगी सरकार, तो सदन में आंकड़ों से किया बचाव

उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर घिरी योगी सरकार आंकड़ों के खेल से अपना बचाव कर रही है. सरकार का कहना है कि यूपी में अपराध पहले से कम हुए हैं.

विपक्ष के निशाने पर है योगी सरकार (फाइल फोटो) विपक्ष के निशाने पर है योगी सरकार (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 3:28 PM IST

उत्तर प्रदेश में बढ़ती आपराधिक घटनाओं को लेकर योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. विधानसभा से लेकर सोशल मीडिया तक विपक्ष सरकार पर हमलावर है. उधर योगी सरकार आंकड़ों की आड़ में अपना बचाव कर रही है. सरकार का कहना है कि पिछली सपा सरकार के मुकाबले बीजेपी सरकार में अपराध का ग्राफ कम हुआ है. हालांकि विपक्ष इसे मानने के लिए तैयार नहीं है.

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बढ़ते अपराध पर योगी सरकार ने दिए आंकड़े

यूपी विधानसभा में कानून व्यवस्था पर उठे सवाल पर हाल ही में सरकार ने बताया कि 30 जून, 2019 तक 15892 अपराधियों ने आत्मसमर्पण किया.अपराधियों ने सरकार के डर से सरेंडर किया. वहीं सरकार ने बताया कि अब तक एनकाउंटर में 83 अपराधी मारे गए. कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सपा सरकार में 600 से ज्यादा पुलिसकर्मियों पर हमले हुए थे.

वहीं विधान परिषद में कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह के एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017-18 की तुलना में वर्ष 2018-19 में डकैती में 44 प्रतिशत, लूट में 30 प्रतिशत, हत्या में 10 प्रतिशत और बलवा में 11 प्रतिशत की कमी आई है. इसी तरह फिरौती के लिए अपहरण में 13 प्रतिशत, दहेज मृत्यु में चार प्रतिशत और बलात्कार में 15 प्रतिशत की कमी आई है.

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योगी राज में बड़ी घटनाएं

योगी सरकार को सोनभद्र के उम्भा गांव में बीते 17 जुलाई को 10 लोगों के नरसंहार पर सबसे ज्यादा आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सोनभद्र जाकर सरकार को और दबाव में ला दिया. जिसके बाद खुद सीएम योगी आदित्यनाथ को भी पीड़ितों से मिलने के लिए जाना पड़ा. पहले सरकार ने मारे गए लोगों के परिवार को पांच लाख रुपये देने की घोषणा की थी, मगर प्रियंका गांधी के जाने के बाद मामला गरमाया तो धनराशि 18.5 लाख रुपये कर दी गई.

संभल में सिपाहियों की हत्या

यूपी के संभल में 17 जुलाई को पेशी के लिए ले जाए जा रहे कैदियों ने दो पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. हत्या करने के बाद  उनके हथियार लेकर तीन कैदी फरार हो गए थे. बाद में संभल में ही बदमाशों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ में  पुलिस ने ढाई लाख के इनामी बदमाश कमल को मार गिराया था. बाद में बताया गया कि वह संभल में दो पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरार हुए तीन बदमाशों में से एक था.

इंस्पेक्टर को भीड़ ने मार डाला

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में पिछले साल हिंसा की बड़ी घटना हुई थी. जब सुमित नामक युवक की गोली लगने से मौत होने पर आक्रोशित भीड़ ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया था. सुबोध सिंह के परिवार ने आरोप लगाया था कि उनकी हत्या इसलिए की गई, क्योंकि वो दादरी में हुए अखलाक कांड की जांच कर रहे थे. अखलाक की 28 सितंबर 2015 को पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.

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अलीगढ़ में दो बार बवाल

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के थाना छर्रा क्षेत्र में एक पुलिसवाले से मारपीट और सर्विस रिवॉल्वर छीने जाने का मामला सामने आया है.  एक महिला की शिकायत पर जांच करने गए सिपाही पर ही लोगों ने हमला कर दिया. वर्दी फाड़ दी. इसका वीडियो वायरल होने पर शासन और प्रशासन की किरकिरी हुई. इससे पूर्व बीते जून में अलीगढ़ ज़िले के टप्पल में लापता हुई ढाई साल की बच्ची की हत्या के बाद माहौल गरमाया था. अलीगढ़ में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति भी पैदा हो गई थी. मामला राष्ट्रीय सुर्खियों में आ  गया था.

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