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आजम खां से छीनी जा सकती है जौहर ट्रस्ट की 66 हेक्टेयर जमीन

आजम खान के जौहर ट्रस्ट के नाम पर 2005 से लेकर अब तक लगभग 66 एकड़ जमीन खरीदी गई थी. मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार की कैबिनेट एक  के फैसले में जौहर ट्रस्ट द्वारा खरीदे जाने वाली जमीन पर स्टांप शुल्क से छूट दी गई थी.

आजम खान को फिर लगा झटका आजम खान को फिर लगा झटका
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 16 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 4:25 AM IST

  • ट्रस्ट के नाम पर खरीदी गई 66 एकड़ जमीन
  • नहीं दिया स्टांप शुल्क, शर्त पर मिली थी छूट

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. अब जौहर ट्रस्ट के लिए खरीदी गई 66 हेक्टेयर जमीन, सीलिंग की जद में आ गई है. इस वजह से इस जमीन पर अब राज्य सरकार अपना कब्जा कर सकती है. जानकारी के मुताबिक जौहर ट्रस्ट के नाम पर जो 66 एकड़ जमीन की खरीद गई, उसके लिए स्टांप शुल्क का भुगतान नहीं किया गया था.  

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बता दें, आजम खान के जौहर ट्रस्ट के नाम पर 2005 से लेकर अब तक लगभग 66 एकड़ जमीन खरीदी गई थी. मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार की कैबिनेट एक  के फैसले में जौहर ट्रस्ट द्वारा खरीदे जाने वाली जमीन पर स्टांप शुल्क से छूट दी गई थी.

छूट देने के पीछे शर्त थी कि ट्रस्ट लोकहित का कार्य करेगा. इसलिए सरकार ने कैबिनेट से मामला पास करा लिया. नियमों के मुताबिक आजम खान को अल्पसंख्यकों और गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देनी थी, लेकिन आरोप है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया.

जौहर ट्रस्ट के सारे पदाधिकारी और सदस्य आजम खां के परिवार से या फिर नजदीकी लोग हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद एसडीएम सदर को इसकी जांच सौंपी गई थी. एसडीएम की जांच में आरोप सच पाए गए हैं, उन्होंने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी थी.

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ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि यह जमीन सीलिंग के दायरे में आएगी. एसडीएम की रिपोर्ट के बाद शुक्रवार को राजस्व संहिता की धारा 82 (2) का उल्लंघन के आरोप में वाद दायर किया गया है. जिलाधिकारी ने वाद को एडीएम (वित्त) की कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया है. एडीएम (वित्त एवं राजस्व) की कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई होगी.

और पढ़ें- आजम खान के परिवार पर एक और संकट, पासपोर्ट केस में बेटे अब्दुल्लाह को पेश होने का आदेश

अब एडीएम की ओर से इस मामले में ट्रस्ट के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को नोटिस जारी किया जाएगा. अगर जांच के बाद ये जमीन सरकार अपने कब्जे में लेती है तो भी जौहर यूनिवर्सिटी मे पढ़ाई लिखाई पर कोई असर नही पड़ेगा, क्योंकि ये जमीन जौहर यूनिवर्सिटी की मूल जमीन से अलग है.

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