
शराब पीकर बेसुध हो जाने वालों के लिए यूपी की योगी सरकार एक अनोखी पहल करने जा रही है. नागरिकों को शराब पीने का सुरक्षित तरीका बताने के लिए सरकार जल्द ही –रिस्पांसिबल ड्रिंकिंग पॉलिसी लाने की तैयारी में है.
पिछले वर्ष यूपी में भाजपा की सरकार बनते ही कई संगठनों ने बिहार की तर्ज पर प्रदेश में भी शराब बंदी लागू करने की पुरजोर मांग की थी. चूंकि भाजपा सरकार को किसान ऋण माफी और अन्य चुनावी योजनाओं को लागू करने के लिए धन की जरूरत थी इसलिए वह शराब बंदी कर आबकारी राजस्व के रूप में खजाने को मिलने वाले 14 हजार करोड़ रुपए का नुकसान करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती थी.
दूसरा बजट पेश करने जा रही योगी सरकार अब लोगों को संयमित होकर शराब पीने का तरीका बताएगी. चूंकि सरकार अगले वर्ष के लिए आबकारी राजस्व में कम से कम दस फीसदी का इजाफा करने का प्लान बना चुकी है, ऐसे में वह शराब की बिक्री कम होने के तरीकों से भी बचना चाहती है.
प्रस्तावित रिस्पांसिबल ड्रिंकिंग पालिसी का मसौदा अंतिम चरण में है और जल्द ही इसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जाएगा. इसके मुताबिक सरकार कुल आबकारी राजस्व का कम से कम एक फीसदी हिस्सा शराब पीने के सुरक्षित तौर तरीकों के प्रति लोगों को जागरूक करने में खर्च होगा.
शराब के नशे में होने वाली दुर्घटनाओं में यूपी देश में अव्वल है. यहां पर 18 फीसदी सड़क हादसे शराब पीकर गाड़ी चलाने से हो रहे हैं. इतना ही नहीं शराब पीने से होने होने वाले लिवर कैंसर के मामले में यूपी में सबसे ज्यादा हैं. नई नीति लाकर सरकार गावों, मोहल्लों, स्कूल कालेजों में नुक्कड़ नाटकों, गोष्ठियों और अन्य तरीकों से लोगों को शराब के बारे में जागरूक करेगी. हालांकि सरकार के सामने सबसे ज्यादा चुनौती अपने इस अभियान का हश्र दूसरे मद्य निषेध कार्यक्रमों जैसा न होने देने की होगी.