
राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 31 दिसंबर 2015 को एक फेसबुक पोस्ट में दानिक्स और आइएएस एसोसिएशन को ‘भाजपा की बी-टीम’ करार दिया था. उन्होंने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि अधिकारी हड़ताल पर चले गए थे. इससे पता चलता है कि अफसरों और आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के बीच खींचतान नई नहीं है लेकिन ताजा घटनाक्रम ने इसे घमासान में बदल दिया है. इस बार घटनाक्रम के केंद्र में हैं दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश.
1986 बैच के 56 वर्षीय आइएएस अफसर प्रकाश ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि सोमवार 19 फरवरी को देर रात मुख्यमंत्री आवास पर केजरीवाल की मौजूदगी में एक बैठक के दौरान आप के विधायक अमानतुल्ला खान और एक अन्य विधायक (जिसे वे पहचान सकते हैं) ने उन पर हमला किया. इन लोगों ने बदसुलूकी की.
प्रकाश के मुताबिक, सरकार के प्रचार से जुड़े टीवी विज्ञापनों को लेकर आप के विधायक भड़क गए और उन्होंने विज्ञापन रिलीज करने तक बंधक बनाकर रखने की बात कही. विधायकों ने धमकी दी कि वे उन्हें (प्रकाश को) एससी ऐक्ट में फंसा देंगे.
वहां 11 विधायक और मुख्यमंत्री समेत अन्य लोग थे. प्रकाश की शिकायत पर पुलिस ने हमला करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने जैसी विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया और उनका मेडिकल जांच भी कराया.
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा आप की बैठक में मौजूद विधायक प्रकाश जारवाल और अजय दत्त ने अपनी पुलिस शिकायत में कहा है कि मुख्य सचिव ने उन पर जातीय टिप्पणी की. मुद्दा गरीबों को राशन न मिलने का था न कि विज्ञापन का. मुख्य सचिव से विधायकों ने कहा कि दिल्ली में आधार कार्ड से लिंक होने के कारण करीब 2.5 लाख लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है. इस पर मुख्य सचिव भड़क गए और चले गए.
आप विधायक और मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने इन विधायकों की पुलिस को दी शिकायत के हवाले से बताया, ''जब इन दोनों ने मुख्य सचिव से कहा कि हम सुरक्षित क्षेत्र से आते हैं और हमारे यहां लोगों को राशन की बहुत दिक्कत होती है तो अंशु प्रकाश ने विधायकों से कहा कि तुम लोग रिजर्वेशन के कारण विधायक बन गए हो वर्ना तुम लोगों की औकात नहीं है कि मुझसे बात करो. मैं तुम लोगों के प्रति नहीं एलजी के प्रति जिम्मेदार हूं.’’ भारद्वाज के मुताबिक, मुख्य सचिव वहां महज साढ़े छह मिनट तक ही रहे.
इसके बाद मारपीट का एक दौर 20 फरवरी दोपहर को दिल्ली सचिवालय में दिखा, जब वहां अफसरों ने आप सरकार के मंत्री इमरान हुसैन, उनके सेक्रेटरी हिमांशु और आप नेता दिलीप पांडे की पिटाई कर दी. इसकी वीडियो क्लिप भी है.
इमरान की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया. मुख्य सचिव से मारपीट वाले मामले में विधायक अमानतुल्ला ने खुद सरेंडर कर दिया जबकि आप नेता कह रहे हैं कि दिल्ली पुलिस ने उनके घर पर तीन बार छापेमारी की.
इससे पहले पुलिस विधायक जारवाल को पकड़ चुकी थी. आप नेता कह रहे हैं कि मुख्य सचिव झूठ बोल रहे हैं तो दूसरी ओर दानिक्स कैडर के अफसर कह रहे हैं कि हुसैन पर हमला उन्होंने नहीं किया है.
मुख्य सचिव की शिकायत के मुताबिक, ‘‘मैं किसी तरह से जान बचाकर भागा. बड़ी मुश्किल से मैं अपनी गाड़ी तक पहुंचा.’’ लेकिन सीसीटीवी फुटेज में 19 फरवरी की रात के साढ़े ग्यारह बजे वे बड़े आराम से अपने पीएसओ के साथ जा रहे हैं.
उन्होंने 12 घंटे बाद अपने वकील से शिकायत बनवाई और इसके बाद रात में नौ बजे मेडिकल कराया. आप नेता पूछते हैं कि इतने सीनियर अफसर के साथ अगर कोई आपराधिक वारदात हुई तो उसने खुद या अपने गार्ड को कहकर तत्काल पुलिस को क्यों नहीं बुलाया?
भारद्वाज कहते हैं, ‘‘मंत्री हुसैन और उनके सहयोगी को प्रदशर्नकारी अफसरों ने बहुत पीटा. उन्होंने भी शिकायत दर्ज कराई लेकिन उस पर कार्रवाई पुलिस ने नहीं की. विधायक अमानतुल्ला के घर पर तीन छापे पड़ गए लेकिन हमारे मंत्री की शिकायत पर पुलिस का सुस्त रवैया दोहरे मापदंड दर्शाता है.’’
आप नेता पूरे मामले में अफसरों के रुख के पीछे केंद्र सरकार की शह मानते हैं. उनका कहना है कि केंद्र कैडर मेनटेनिंग अथॉरिटी है इसलिए आइएएस अफसर उनके इशारे पर ही चलेंगे.
बहरहाल, दिल्ली की निर्वाचित सरकार और प्रशासनिक मशीनरी के बीच टकराव से दिल्ली के काम ठप हो गए हैं. अफसरों ने सचिवालय में हड़ताल तो नहीं की लेकिन किसी भी बैठक में शामिल न होने का फैसला किया है.
उन्होंने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की है. वे मुख्यमंत्री से माफी की मांग पर अड़े हुए हैं. मौका देखकर दूसरे दलों के नेता भी इस घमासान में कूद पड़े हैं. दिल्ली भाजपा ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन कर केजरीवाल से इस्तीफे की मांग कर डाली.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इसे पीएनबी बैंकिंग फ्रॉड से ध्यान बंटाने की भाजपा की कोशिश बताया तो भाजपा नेता शत्रुध्न सिन्हा ने भी उनके ही सुर में सुर मिलाते हुए ऐसा ही ट्वीट किया. बहरहाल, ऐसा लगता नहीं कि दिल्ली का नया घमासान आने से पीएनबी का मामला दब गया है.
नेता और नौकरशाहों के बीच संघर्ष का खामियाजा अंतत: आम आदमी को ही भुगतना होगा.
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