
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत अभियान का सपना अब युवाओं के जिम्मे होने जा रहा है. मोदी सरकार हर जिले में प्रोबेशनर IAS की नियुक्ति करने जा रही है जो वहां इस मिशन को आगे बढ़ाएंगे.
इसके साथ ही सरकार सभी जिला कलेक्टर को भी इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि मिशन को आगे बढ़ाया जा सके. मिशन के तहत सरकार हर घर में टॉयलेट बनवाने और साफ-सफाई के लिए प्रतिबद्ध है.
मिशन को आगे बढ़ाने के लिए एक डेडिकेटेड सेंटर बनाया गया है. मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए भी इसका प्रचार किया जा रहा है. इसका नतीजा ये रहा है कि बीते साल अभियान की शुरुआत होने के बाद अब टॉयलेट निर्माण का काम पांच गुना बढ़ गया है.
200 कलेक्टर्स को भी ट्रेनिंग
ज्वाइंट सेक्रेटरी, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) सरस्वती प्रसाद ने बताया, 'मिशन के महत्व को ध्यान में रखते हुए 180 आईएएस प्रोबेशनर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है. उन्हें फील्ड ट्रेनिंग के दौरान ही मिशन को आगे बढ़ाने के लिए कहा जा रहा है.' उन्होंने बताया कि इस काम के लिए देशभर में लगभग 200 कलेक्टर्स को भी ट्रेनिंग दी जा चुकी है.
आंकड़ों के मुताबिक, देश की आधी आबादी अभी भी घर के बाहर शौच के लिए जाती है, जिससे स्वास्थ्य को लेकर खतरा बढ़ रहा है और हर साल हजारों बच्चों की मौत हो रही है. इसके साथ ही महिलाओं की सुरक्षा भी निशाने पर है. मिशन की शुरुआत होने के 11 महीने बाद राज्यों में 78.47 लाख टॉयलेट बनाए गए हैं.
लोग इस्तेमाल नहीं कर रहे टॉयलेट
टॉयलेट बनाने के लिए सरकार की ओर से 12000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है. सरकार का लक्ष्य 2019 तक 6.84 करोड़ नए टॉयलेट बनाने का है, लेकिन सिर्फ इससे भारत स्वच्छ नहीं बनेगा. अब तक कई जगहों में टॉयलेट बनाए जाने के बाद भी उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा. नए IAS अधिकारियों को इस बात का जिम्मा सौंपा गया है कि वे लोगों को टॉयलेट निर्माण और उसके इस्तेमाल के लिए प्रेरित करें. इसके लिए ट्विटर (@swachbharat), फेसबुक (Swachh Bharat Mission) और वाट्सऐप की भी मदद ली जा रही है.