
भीमा कोरेगांव घटना से जहां पूरा महाराष्ट्र जल उठा था, वहीं इसकी आंधी अब गुजरात में भी फैलने लगी है. 1 जनवरी को हुई इस जातीय हिंसा में एक बेगुनाह मारा गया था, जिसका किसी भी संगठन से कोई लेना-देना नही था.
28 वर्षीय राहुल फटंगडे 1 जनवरी को शाम 4 बजे अपने घर के निजी काम से बाहर निकला था. न तो उसे अंदाजा रहा होगा और न ही उसके घर वालों को कि अब वह वापस नहीं आ पाएगा. अपने आप में मगन राहुल बाहर जा रहा था, उसे क्या पता था कि उसके साथ क्या होने वाला है.
राहुल को उसकी मौसी ने पालपोस कर बड़ा किया था. 1 जनवरी के दिन सोमवार था और राहुल का सोमवार के दिन गैरेज बंद रहता है. उस दिन राहुल पुणे नहीं गया था. 1 जनवरी को पुणे जिले के भीमा कोरेगांव और आसपास के इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी और राहुल दंगाइयों का शिकार हो गया. राहुल की मौत की खबर के बाद मां और मौसी का बुरा हाल है, उनके आंसू रुके नहीं रुक रहे हैं, वह लोगों से चीख-चीख कर पूछ रहे हैं कि राहुल का गुनाह क्या था.
राहुल का भाई महाराष्ट्र पुलिस में अपनी सेवा दे रहा है. जातीय हिंसा में बेगुनाह राहुल के मारे जाने के बाद भी उसका भाई लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है.
कोरेगांव भीमा की लड़ाई के 200 वर्ष होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने लाखों की संख्या में लोग आए थे, वर्ष 1818 की लड़ाई के प्रतीक के रूप में बनाये गए विजयी स्तंभ के पास शिवाजी महाराज, डॉक्टर बाबा साहब आंबेडकर और छत्रपति संभाजी राजे आदि के पुतले बनाकर सामाजिक एकता बनाये रखने का प्रयास किया गया था, लेकिन इस एकता को भंग करने का प्रयास कुछ शांति के दुश्मनों ने किया.
सोमवार को भीमा कोरेगांव में सैकड़ों गाड़ियां जला दी गई. लोगों के घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचा. भीमा कोरेगांव की हिंसा आसपास के सनसवाड़ी, शिकरापुर गांव में भी पहुंची.