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मैसेज ट्रेस करने वाला सॉफ्टवेयर नहीं बना सकते: वॉट्सऐप

इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप इन दिनों अफवाह वाले मैसेज फॉरवर्ड को लेकर चर्चा में है. सरकार चाहती है कि कंपनी ऐसी तकनीक लेकर आए जिससे ये पता लगाया जा सके कि ऐसे मैसेज कहां से फॉरवर्ड किए जा रहे हैं, लेकिन इस पर वॉट्सऐप का रूख कुछ और ही है.

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Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST

वॉट्सऐप पर फेक मैसेज और अफवाहों को लेकर महीने भर से चर्चा चल रही है. भारत सरकार ने इसके लिए वॉट्सऐप से बात भी की है और वॉट्सऐप अफवाहों और फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए कुछ फीचर्स भी लाया है. लेकिन वॉट्सऐप ने यह साफ तौर पर कहा है कि कंपनी के लिए वॉट्सऐप मैसेज का ऑरिजिन (स्रोत) पता करना मुश्किल है.

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भारत सरकार ने वॉट्सऐप से मांग की थी कि वो मैसेज के स्रोत का पता लगाने के लगाने और उसे ट्रैक करने के लिए टूल लेकर आए. लेकिन वॉट्सऐप का कहना है कि मैसेज के स्रोत का पता करना एंड टू एंड एन्क्रिप्शन को कमजोर करने जैसा होगा और इससे यूजर की प्राइवेसी भी प्रभावित होगी.

गौरतलब है कि हाल ही में वॉट्सऐप और सोशल मीडिया के जरिए अफवाहें फैलीं जिनसे भारत के कई राज्यों में मॉब लिंचिंग हुई. आईटी मंत्रालय ने वॉट्सऐप से दो बार कानून का पालन करते हुए इस तरह के अफवाह वाले मैसेज को रोकने के लिए लिखा है.

आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने वॉट्सऐप के इस मामले में कहा है, ‘हजारों मैसेज कहां से भेजे जा रहे हैं ये पता करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है, आपके पास इसका समाधान ढूंढने के तरीके होने चाहिए.’

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हालांकि वॉट्सऐप भारत सरकार की इस मांग से सहमति नहीं रखता है. क्योंकि कंपनी ने कहा है कि वॉट्सऐप किसी मैसेज को ट्रेस करने के लिए कोई सॉफ्टवेयर नहीं बना सकता है. इस तरह का सॉफ्टवेयर बना कर वॉट्ऐसप की प्राइवेसी को खोखला करेंगे और इसके संभावित गलत यूज भी हैं.

कंपनी ने कहा है, ‘वॉट्सऐप यूजर्स को दी जाने वाली प्राइवेसी प्रोटेक्शन को कमजोर नहीं कर सकता है. लोग वॉट्सऐप पर भरोसा करते हैं. हमारा फोकस भारत में लोगों को गलत जानकारियों से सचेत करना और इससे लोगों को बचाना है.’

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