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वादे से मुकरा गूगल, Allo पर किए गए आपके चैट्स नहीं करेगा डिलीट

गूगल का नया स्मार्ट मैसेजिंग ऐप Allo लॉन्च तो हो गया है, लेकिन गूगल ने इसे लेकर जो वादे किए थे उससे मुकर गया है. अब किसी एजेंसी की मांग पर  गूगल किसी भी यूजर के चैट का ब्योरा उसे सौंप सकता है.

Google Allo Google Allo
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 22 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 11:11 AM IST

गूगल का नया स्मार्ट मैसेजिंग Allo ऐप एंड्रॉयड और आईओएस के लिए उपलब्ध है. हालांकि कंपनी ने अपन सालाना डेवलपर कॉन्फ्रेंस I/O 2016 में इसकी सिक्योरिटी और प्रीवेसी को लेकर जो दावे किए थे वो खोखले साबित होते दिख रहे हैं. इस इवेंट के दौरान कंपनी ने इसमें एंड टु एंड एन्क्रिप्शन के अलावा बातचीत स्टोर करने की कठोर पॉलिसी के बारे में भी बताया था.

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अपने वादे से मुकर गया गूगल, चैट नहीं करेगा डिलीट
कंपनी ने कहा था कि Allo में किए गए बातचीत को कंपनी अपने सर्वर में सिर्फ कुछ समय के लिए ही स्टोर करेगी और किसी भी एजेंसी के मांगे जाने पर इसकी जानकारी न देने की बात भी कही थी. लेकिन अब कंपनी अपने वादे से मुकरती दिख रही है और अब Allo में किए गए चैट्स गूगल के सर्वर पर हमेशा के लिए एन्क्रिप्टिड रूप में स्टोर रहेंगे जिसे गूगल एल्गोरिदम ऐक्सेस कर सकता है. हालांकि इन्कॉग्निटो मोड में की गई बातचीत को गूगल स्टोर नहीं करेगा.

गूगल सर्वर पर हमेशा के लिए सेव होंगे आपके चैट्स
वादे से मुकरने के पीछे गूगल की दलील यह है कि चैट की जानकारियों के जरिए स्मार्ट रिप्लाई और गूगल ऐसिस्टेंट को ज्यादा सटीक बनाया जाएगा. यानी गूगल आपके बातचीत की हिस्ट्री के हिसाब से स्मार्ट रिप्लाई का ऑप्शन देगा और इसके ऐसिस्टेंट में उसी आधार पर आपको जानकारियां दिखाई जाएंगी.

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टेक्नॉलोजी पोर्टल द वर्ज के मुताबिक इस वक्त जो गूगल के नए ऐप Allo का वर्जन डाउनलोड के लिए उपलब्ध है उसमें दी गई पॉलिसी कंपनी के वादे के मुताबिक नहीं हैं.

एजेंसियों की मांग पर गूगल आपके चैट की जानकारी दे सकता है

द वर्ज के मुताबिक इस पॉलिसी के तहत अब न सिर्फ गूगल बल्कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां चाहें तो गूगल से Allo पर किसी की बातचीत की पूरी डीटेल मांग सकते हैं. गौरतलब है कि ऐसी पॉलिसी पहले से जीमेल और हैंगआउट में है जिसके तहत एजेंसियों को कंपनी यूजर के ईमेल से जुड़ी जानकारी दे सकती है.

निजता से समझौता
यूजर ऑटोमैटिक रिप्लाई और गूगल ऐसिस्टेंट जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए कुछ समय तो बचा सकते हैं, लेकिन क्या सिर्फ इसलिए वो अपना समय बचाने के लिए अपनी निजता से समझौता कर सकते हैं.

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