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भारत में 5G ट्रायल करने वाली कंपनी Huawei अमेरिका में बैन क्यों है?

भारत में जिस चीनी कंपनी Huawei को 5G ट्रायल में भाग लेने की परमिशन मिली है यही कंपनी अमेरिका में जासूसी के आरोप बैन है. अमेरिका सहित दूसरी वेस्टर्नन कंट्रीज ने भी इस कंपनी को बायकॉट किया है. 

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Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST

  • जासूसी के आरोप में अमेरिका से बैन है Huawei.
  • साल 2020 में भी कंपनी लिए सफर नहीं है आसान.

चीनी टेक कंपनी Huawei को भारत में 5G ट्रायल के लिए हरी झंडी मिल गई है. काफी समय से हुआवे इसकी तैयारी कर रही है. आपको बता दें कि हुआवे वही कंपनी जिसे अमेरिका में स्पाई करने के आरोप  में बैन कर दिया गया था. अमेरिका सहित दूसरे वेस्टर्न कंट्रीज ने Huawei को बायकॉट किया.

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इन सब के बाद अमेरिकी सरकार ने एक आदेश जारी किया है जिसकी वजह से  गूगल ने हुआवे को दिया गया एंड्रॉयड का लाइसेंस कैंसिल कर दिया. इसके बाद कंपनी के स्मार्टफोन सेल में भी गिरावट दर्ज की गई.  लेकिन अब यही कंपनी भारत में 5G का ट्रायल करेगी. कंपनी ने हाल ही में ये भी कहा है कि 2020 में हुआवे की प्राथमिकता सर्वाइवल होगी. 

गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी इंटेलिजेंस चीफ का अब तक ये मानना है कि हुआवे पर भरोसा नहीं किया जा सकता है और इस कंपनी के इक्विपमेंट्स नैशनल सिक्योरिटी के लिए खतरा हैं.

अमेरिका में हुआवे को बैन क्यों किया गया?

अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनल्ड ट्रंप ने हुआवे के अमेरिका में बिजनेस बैन के बारे में कहा था, 'ये नैशनल सिक्योरिटी की बात है. हुआवे हमारी मिलिट्री और इंटेलिजेंस एजेंसी के लिए चिंता का विषय है और हम हुआवे के साथ कोई  बिजनेस नहीं कर रहे हैं.'

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हुआवे के अमेरिका में बैन होने की सबसे बड़ी वजह जासूसी की थी. वहां की सरकार को शंका थी कि हुआवे चीनी सरकार के लिए अमेरिका की जासूसी कर रही है. 2012 में भी अमेरिका ने हुआवे के नेटवर्किंग इक्विपमेंट्स को बैन कर दिया था.  2012 में ही Huawei और ZTE Corp की जांच शुरू की गई. ये जांच इस बात को लेकर थी कि इन कंपनियों के इक्विप्मेंट्स अमेरिकी हितों के लिए खरता हैं या नहीं.

इस चांज रिपोर्ट में अमेरिकी कांग्रेस ने ये पाया कि कंपनी ने इनवेस्टिगेशन के दौरान पूरी तरह से एजेंसी का साथ नहीं दिया है और हुआवे ने चीनी सरकार से अपने रिश्तों के बारे में भी एक्स्प्लेन नहीं किया है. रिपोर्ट में ये बताया गया कि इस बात के सबूत हैं कि हुआवे ने अमेरिकी कानून का पालन भी नहीं किया है.

इसके बाद से अमेरिका ने अपने संवेदनशील इंफ्रास्ट्रक्चर से हुआवे के इक्विप्मेंट्स बैन करने शुरू किए और इसके साथ ही अपने साथी देशों से हुआवे के प्रॉडक्ट्स यूज करने से मना किया. इन देशों में अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और ग्रेट ब्रिटेन शामिल हैं.

Huawei को एंड्रॉयड यूज करने का लाइसेंस भी किया गया कैंसिल

मई 2019 में Google ने Huawei को दिया गया एंड्रॉयड यूज करने का लाइसेंस कैंसिल कर दिया. इसकी वजह भी हुआवे का अमेरिका में बैन होना था. आपको बता दें कि हुआवे स्मार्टफोन के मामले में दुनिया की टॉप-5 कंपनियों में से एक है. गूगल ने कहा था कि कंपनी सरकार के आदेश का पालन करते हुए हुआवे से एंड्रॉयड का लाइसेंस कैसिंल कर रही है.

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Huawei के लिए आगे का सफर कैसा रहेगा?

जाहिर है अमेरिकी सहित दूसरी वेस्टर्न कंट्रीज में हुआवे की राह आगे भी मुश्किल ही है. यही वजह है कि कंपनी के हेड ने कहा है कि 2020 में कंपनी की प्राथमिता खुद को बचाए रखने की होगी. हुआवे फिलहाल अमेरिकी कोर्ट में बैन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही है. 

ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉन्सन ने हाल ही में हुआवे के स्मार्टफोन से सेल्फी क्लिक की है जिससे हिंट मिल रहा है कि ब्रिटेन में हुआवे के लिए 2020 खुशखबरी लेकर आ सकता है.

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