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पुलवामा अटैक के लिए यूज हुआ था वर्चुअल सिम, जानिए क्या है ये..

पुलवामा आतंकी हमले में जैश के आतंकी ने वर्चुअल सिम का इस्तेमाल किया था. वर्चुअल सिम ट्रैक होने से बचने और पहचान छुपाने के लिए आम तौर पर यूज किए जाते हैं.

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Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 5:00 PM IST

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए टेरर अटैक में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. रिपोर्ट के मुताबिक सुसाइड ब्लास्ट करने वाले जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने वर्चुल सिम के जरिए जैश-ए-मोहम्मद से संपर्क किया था और इसके जरिए ही लगातार टच में था.

ऑफिशियल्स के मुताबिक JeM के सुसाइड बॉम्बर द्वारा यूज किए गए वर्चुअल सिम जांच के लिए अमेरिका भेजा जा सकता है. अधिकारियों के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद द्वारा यूज किया जाने वाला वर्चुअल सिम अमेरिका के सर्विस प्रोवाइडर से जेनेरेट किया गया था.

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गौरतलब है कि वर्चुअल सिम का यूज इसलिए भी किया जाता है, ताकि ट्रेस या ट्रैक न किया जा सके. 

क्या है वर्चुअल सिम और कैसे करता हे ये काम

--- वर्चुअल सिम, नॉर्मल सिम से काफी अलग होता है और इसे ऑनलाइन जेनेरेट किया जा सकता है. आम तौर वर्चुअल सिम से यूजर्स को क्लाउड बेस्ड नंबर दिया जाता है. कॉलिंग या मैसेज करने के लिए यूजर्स को ऐप डाउनलोड करना होता है.

--- वर्चुअल सिम को किसी ऐप के मदद से किसी डिवाइस में यूज किया जा सकता है. कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन या टैबलेट. इससे यूजर्स एक दूसरे के साथ कम्यूनिकेट कर सकते हैं.

--- वर्चुअल सिम की खासियत ये है कि इसके जरिए लोकल नंबर पर कॉल लगाई जा सकती है और रिसीव की जा सकती है. किसी खास देश तक लिमिटेड नहीं होता 50 देशों में कहीं का भी नंबर हो सकता है और इससे कहीं भी कॉल की जा सकती है.

--- वर्चुअल सिम के लिए आपको किसी शॉप पर जा कर अपनी आईडी और फोटो नहीं देने होते हैं, क्योंकि नंबर कंप्यूटर जेनेरेटेड होते हैं. नंबर कहीं का हो सकता है, जैसे अमेरिका या ब्रिटेन.

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--- वर्चुअल सिम का यूज अपनी पहचान छुपाने के लिए भी किया जाता है. इसके लिए वर्चुअल सिम प्रोवाइर्स ऐप डाउनलोड कराते हैं. आम तौर पर ये सर्विस फ्री नहीं होती है और इसके लिए पैसे देने होते हैं. वर्चुअल नंबर के लिए ऐप में साइन अप करके एरिय कोड डालना होता है और आप इससे किसी को मैसेज कॉल कर सकते हैं.

--- वर्चुअल सिम ऐक्टिवेट करने के लिए यूजर्स को उसके ही स्मार्टफोन में वेरिफिकेशन के लिए कोड भेजा जाता है.

--- कुल मिला कर ये है कि वर्चुल सिम के जरिए की गई कम्यूनिकेशन को आम सिम की तरह ट्रैक या ट्रेस नहीं किया जा सकता है. शायद इसलिए ही पुलवामा आतंकी हमले के बाद वर्चुअल सिम के बारे में अधिकारी अमेरिका से ही इस वर्चुअल सिम के बारे में पता करने को कहने की तैयारी में हैं.

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