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इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप पर फेक न्यूज की भरमार लगी है. लेकिन अब चाइल्ड पॉर्नोग्रैफी के लिए भी इसे जम कर यूज किया जा रहा है. चाइल्ड पोर्नोग्रैफी के ट्रेडर्स वॉट्सऐप को अपने कॉन्टेंट डिस्ट्रिब्यूशन के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. चूंकि वॉट्सऐप की कोई मॉनिटरिंग नहीं की जा सकती, इसलिए ऐसे कॉन्टेंट तेजी से वायरल भी हो रहे हैं.
टेक क्रंच की एक रिपोर्ट के मुताबित ह्यूमन मोडेरेटर्स न होने की वजह से ऐसे कॉन्टेंट ऑटोमैटेड सिस्टम से बच निकलते हैं. इजराइल की दो एनजीओ की रिपोर्ट के मुताबिक वॉट्सऐप ग्रुप ढूंढने वाले थर्ड पार्टी ऐप्स ऐसे इन्वाइट लिंक्स देते हैं यूजर्स से चाइल्ड पोर्नोग्रैफी मेटेरियल की ट्रेडिंग करने के लिए कहते हैं. टेक क्रंच ने अपनी जांच में पाया है कि ऐसे कई ग्रुप्स ऐक्टिव हैं. एंटी एक्सप्लॉएटेशन स्टार्टअप AntiToxin के मुताबिक इनमें से कुछ ग्रुप्स ये तक हाइड नहीं करते कि वो क्या कर रहे हैं.
आपको बता दें कि चाइल्ड पोर्नोग्रैफी से जुड़े कॉन्टेंट रखना या इसे शेयर करना भारतीय कानून के मुताबिक जुर्म है. ऐसा करने भारी जुर्माने के साथ जेल भी हो सकती है. फाइनैंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्चर ने इस साल की शुरुआत में वॉट्सऐप पर चाइल्ड अब्यूज मेटेरियल देखें हैं जो भारी मात्रा में हैं और ये वॉट्सऐप चैट ग्रुप्स में हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक कुछ वॉट्सऐप ग्रुप का नाम चाइल्ड पॉर्न भी है जो काफी गंभीर मसला है. एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वॉट्सऐप के पास स्मार्ट स्कैनिंग तकनीक है जो जिससे यूजर ग्रुप्स में शेयर किए गए अवैध कॉन्टेंट स्कैन किए जाते हैं. ऐसे में हजारों अकाउंट्स बैन भी किए जाते हैं.
2016 में वॉट्सऐप को कंपनी ने एंड टू एंड एन्क्रिप्शन से सिक्योर किया. इस सिक्योरिटी स्टैंडर्ड के तहत सेंडर और रिसीवर के अलावा कोई दूसरा वॉट्सऐप चैट्स नहीं पढ़ सकता है. इतना ही नहीं जांच एजेंसियां भी वॉट्सऐप चैट्स का डेटा नहीं मांग सकती हैं, क्योंकि ये वॉट्सऐप के पास भी स्टोर नहीं होता है.