सस्ते डेटा और फ्री कॉलिंग का समय अब एक तरह से खत्म होने के कगार पर लग रहा है. टेलीकॉम कंपनियां नुकसान में हैं. सभी कंपनियों ने कुछ समय पहले ही अनलिमिटेड ऑफ नेट कॉलिंग खत्म करके नए प्लान जारी कर दिए हैं.
वोडाफोन-आइडिया ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम को एक लेटर लिखा है. इस लेटर में कहा गया है कि कंपनी चाहती है कि 35 रुपये प्रति जीबी डेटा रेट फिक्स किया जाए. इतना ही नहीं, यहां यह भी कहा गया है कि मंथली कनेक्शन के लिए मिनिमम चार्ज 50 रुपये कर दिया जाए.
रिपोर्ट के मुताबिक वोडाफोन-आइडिया ने AGR की पूरी रकम चुकाने के लिए 18 साल का वक्त मांगा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक वोडाफोन-आइडिया चाहता है कि आउटगोइंग कॉल्स के लिए मिनिमम 6 पैसे प्रति मिनट का रेट फिक्स किया जाए.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट में एक सोर्स के हवाले से कहा गया है, ‘कंपनी के मुताबिक मोबाइल कॉल और डेटा रेट में बढ़ोतरी से रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी जैसे 2015-16 में इन दोनों कंपनियों को अलग-अलग मुनाफा हुआ था.
कंपनी ने कहा है कि टैरिफ हाइक के बाद कंपनी को तीन साल रेवेन्यू जेनेरेट करने में लगेंगे जैसे पहले लगते थे. इसलिए कंपनी ने तीन साल का वक्त भी मांगा है.
अगर वोडाफोन-आइडिया की ये सिफारिश मान ली जाती है तो कस्टमर्स को बड़ा झटका लग सकता है. अगर वोडाफोन-आइडिया ने टैरिफ बढ़ाए तो जाहिर है जियो और एयरटेल भी अपने टैरिफ की कीमतें बढ़ाएंगे. अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर से यूजर्स को डेटा और कॉलिंग के लिए पहले की तरह पैसे देने पड़ सकते हैं.