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अमेरिका ने विदेशी नागरिकों से मांगना शुरू किया सोशल मीडिया अकाउंट्स

अमेरिका में एक नई पॉलिसी आई है जिसके तहत विदेश से वहां जाने वाले लोगों से उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स के बारे में भी पूछा जाएगा.

अमेरिका में विदेशियों से मांगी जाएगी सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी अमेरिका में विदेशियों से मांगी जाएगी सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST

अब अमेरिका जाने से रोक लगने की वजह आपका सोशल मीडिया प्रोफाइल हो सकता है. अमेरिकी कस्टमर और बॉर्डर प्रोटेक्शन ने दूसरे देशों से आए हुए लोगों से फेसबुक और ट्विटर सहित दूसरे सोशल मीडिया अकाउंट्स के यूजरनेम मांगे जाएंगे.

पॉलिटिको मैगजीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल जून में अमेरिका में नई पॉलिसी का प्रोपोजल रखा गया था जिसमें दूसरे देशों से आए हुए उन लोगों के लिए लागू होगा जो बिना वीजा के कुछ दिनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम फॉर ट्रेवल ऑथराइजेशन या ESTA प्रोसेस से अमेरिका जाते हैं. पॉलिटिको मैगजीन के मुताबिक सरकार के प्रवक्ता ने इसकी वजह संभावित खतरों को पहचानने के लिए किया है.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक इस नई पॉलिसी की शुरुआत बुधवार से हो गई है और फिलहाल सोशल मीडिया यूजरनेम देना ऑप्शनल हैं. इसके तहत विदेशी लोगों से उनकी ऑनलाइन उपलब्धता के बारे में भी पूछा जाएगा और उसे चेक किया जाएगा. इन अकाउंट्स में फेसबुक, ट्विटर, लिंक्ड इन और गूगल प्लस शामिल हैं.

फिलहाल यह साफ नहीं है कि सोशल मीडिया की दी गई जानकारी तत्काल जांच की जाएगी या बाद में होगा. यह भी साफ नहीं है कि अगर अकाउंट में उन्हें कुछ संदिग्ध लगा तो तत्काल ही अमेरिका में एंट्री बैन कर दी जाएगी या नहीं. हालांकि अभी कस्टमर और बॉर्डर प्रोडेक्शन ने यह भी कहा है कि वो उन लोगों को अमेरिका में घुसने से नहीं रोकेंगे जिनपर सोशल मीडिया अकाउंट न हों या वो देना नहीं चाहते.

जाहिर है ऐसी पॉलिसी धीरे धीरे विवादों में आएगी और शुरुआती दौर में ही में इस पॉलिसी ने मानावाधिकार कार्यर्ताओं और टेक्नॉलोजी कंपनियों ने इस पर सवाल खड़े करने शुरू किए हैं. मानवाधिकार और टेक कंपनियों के सदस्यों ने इसपर जून में ही चिंता जताई थी जब इसे पहले प्रोपोज किया गया था. इसके अलावा फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों की प्रतिनिधित्व करने वाली इंडस्ट्री लॉबिंग ग्रुप इंटरनेट एसोसिएशन ने इस प्रोपोजल की मजम्मत की करते हुए ACLU (अमेरिकन सिविल लिबरेशन युनियन) का साथ दिया है. उनका कहना है कि यह संभावित फ्री स्पीच और प्राइवेसी का उलंघन है.

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इन ग्रुप्स को इस बात का डर है कि लोगों के सोशल मीडिया जानकारी की वजह से इसका गलत यूज हो सकता है. उन्होंने कहा है कि यह संभावित सिक्योरिटी रिस्क भी है, क्योंकि सरकार लगातार दुनिया भर से आए हुए लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट का डेटा रखेगी.

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