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चीनी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार तो ठीक, लेकिन पहले जानें कितने चीनी हैं आप?

भारत से चीन के सामानों का विरोध करने का ट्रेंड काफी पहले से चला आ रहा है जो अब और तेज हो गया है. वजह ये है कि चीन पाकिस्तान की मदद करता है और पाकिस्तान भारत में आतंकी हमले कराता है. लेकिन क्या सच में चीनी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार किया जा सकता है.

न्यू यॉर्क का सीवेज मेड इन चाइना न्यू यॉर्क का सीवेज मेड इन चाइना
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 8:51 AM IST

किसी स्मार्टफोन से आप सोशल मीडिया का यूज करते हुए एक पोस्ट डालते हैं कि चीनी सामानों का बहिष्कार करें. इसलिए, क्योंकि चीन पाकिस्तान की तरफ है और पाकिस्तान भारत में आतंकी हमले करा रहा है. लेकिन क्या यह संभव है? शुरुआत खुद से करें और देखें कि आप जिस स्मार्टफोन, टैब या लैपटॉप के जरिए चीन के बहिष्कार की पोस्ट डाल रहे हैं वो कहां बनाया गया है. ज्यादा उम्मीद है कि वो चीन का ही बना होगा. अगर चीन का नहीं भी है तो उसमें लगाए गए कुछ प्रोडक्ट्स तो जरूर चीन में बने होंगे.

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एप्पल, मोटोरोला और सैमसंग के प्रोडक्ट्स भी 'चाइनीज' ही हैं
भारत में शाओमी जैसी दर्जनों कंपनियां बढ़ चढ़ कर गैजेट्स बेच रही हैं. क्वालिटी के साथ सस्ते होने की वजह से इसी खरीदना लोगों की जरुरत बन चुका है. एक बार को आप इन्हें छोड़ दें, लेकिन क्या आप इस तथ्य से मुंह मोड़ लेंगे कि अमेरिटी टेक दिग्गज एप्पल के आईफोन भी चीन में असेंबल होते हैं जिन्हें शान से हम यूज करते हैं.

अगर एप्पल, एचपी, सैमसंग, लेनोवो और मोटोरोला के स्मार्टफोन या लैपटॉप यूज कर रहे हैं और फेसबुक पर चीन के सामानों का बहिष्कार करने के लिए अभियान छेड़ रहे हैं तो यह हजम नहीं होता. क्योंकि इन सारी कंपनियों के ज्यादातर डिवाइस चीन में ही बनते हैं.

भारतीय कंपनियां अभी तक फेल ही रही हैं!
भारत की बात करें तो ज्यादातर अमेरिकी और साउथ कोरियन कंपनियां अपने जितने गैजेट्स जो भारत भेजते हैं वो चीन के ही बने होते हैं. मिड रेंज के बाजार में चीनी हैंडसेट भरे पड़े हैं और इन्हें अभी तक भारतीय कंपनियों ने रिप्लेस नहीं किया है. ऐसे में इन प्रोडक्ट्स को इग्नोर करेंगे तो फिर करेंगे क्या? भारतीय स्मार्टफोन कंपनियां अभी तक उस दर्जे के डिवाइस बनाने में फेल साबित हुईं हैं जिनके जरिए आम जनता इन पर निर्भर कर सके.

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मेड इन इंडिया डिवाइस के पार्ट्स कहां से आते हैं?
लैपटॉप, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टैबलेट, स्मार्ट वॉच से लेकर डिवाइस में लगाए जाने वाले चिप तक चीन बनते हैं. एक बार को आप भारतीय कंपनी का कोई स्मार्टफोन यूज करके ये कह सकते हैं कि हम स्वदेशी सामान यूज कर रहे हैं. लेकिन क्या उस स्मार्टफोन में लगे सभी पार्ट्स भी भारत में बने हैं? एक स्मार्टफोन या लैपटॉप में कई पार्ट्स होते हैं जिसे अलग अलग कंपनियां अलग अलग देशों में बनाती हैं. तो क्या सच में भारतीय कंपनियों द्वारा बनाया जाने वाला डिवाइस स्वदेशी है? ये अब आप खुद तय कर लें.

क्या इंटरनेट और फेसबुक भी यूज करना बंद कर देंगे?
अब आते हैं इंटरनेट पर. इंटरनेट का मतलब ज्यादातर लोग के लिए है गूगल और फेसबुक. ये तो पता होगा कि ये दोनों कंपनियां अमेरिकी हैं. लेकिन क्या इन कंपनियों के शेयर होल्डर्स और इनवेस्टर्स भी सिर्फ अमेरिकी हैं. इनसे चीन के अलावा भी कई देश पैसा कमाते हैं. तो क्या अब आप गूगल, फेसबुक और ट्वीटर यूज करना बंद कर देंगे?

मोबाइल ऐप्स से भी करेंगे किनारा?
स्मार्टफोन में ऑपरेटिंग सिस्टम होता है और कई ऐप होते हैं. चैटिंग ऐप, शॉपिंग ऐप, टूल्स और ट्रैवल ऐप. We Chat एक चैटिंग ऐप है जो काफी पॉपुलर भी है वो भी चीन का बना है. इसके अलावा कई मशहूर ऐप में चीन ने निवेश कर रखा तो क्या अब भारतीय जनता ऐप भी न यूज करे?

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ब्रिटेन का भी यही हाल है.
भारत ही नहीं बल्कि ब्रिटेन में बिकने वाले ज्यादातर सामान मेड इन चाइना होते हैं. 2012 में लंदन ओलंपिक के दौरान आधिकारिक वेबसाइट पर बेचे गए 90 फीसदी से ज्यादा प्रोडक्ट्स चीन के बने हुए थे.

P.S- फेसबुक आपके रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा है. फेसबुक के कई प्रोडक्ट्स आप यूज करते हैं. इसके मालिक और सीईओ मार्क जकरबर्ग हैं और उनकी पत्नी प्रेशिला चैन भी चीन की ही हैं. अगर चीनी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार ही करना है तो आपके लिए यह भी एक वजह हो सकती है.

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