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बजट 2019: पांच साल पूरे होने को हैं, कहां पहुंचा डिजिटल इंडिया

Digital India के तहत अभी आपको कई योजनाएं दिखती हैं. सरकार लगातार डिजिटल इंडिया की उपलब्धी गिनाती है. मोदी सरकार के पांच साल पूरे होने वाले हैं. ऐसे में जानना दिलचस्प होगा कि अब तक कहां पहुंचा डिजिटल इंडिया?

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Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 10:13 AM IST

1 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया लॉन्च किया था. इसके कई मकसद हैं. इनमें से मुख्य, ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनेट नेटवर्क से कनेक्ट करना और डिजिटल लिटरेसी को बेहतर करना है. पांच साल होने को हैं. अब तक डिजिटल इंडिया का रेस्पॉन्स क्या है?

ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी कहने को तो पहुंच रही है, लेकिन इसे इस्तेमाल कैसे किया जाए ये साफ नहीं है. कई ग्रामीण इलाकों का हाल ये है कि वहां फाइबर पहुंचा दिए गए हैं. कंप्यूटर्स भी उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन अब आगे क्या किया जाएगा, अब तक कुछ नहीं दिखता है.

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वाईफाई कनेक्टिविटी लगाने का भी प्रोजेक्ट चालू है, लेकिन यूजर्स को इससे कितना लाभ मिल रहा है इसका ऐस्सेमेंट अभी होना बाकी है. झारखंड के कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं जहां ऑप्टिकल फाइबर पहुंचा दिए गए हैं. इक्विप्मेंट्स भी उपलब्ध हैं, लेकिन इंटरनेट यूज करना है ये मुखिया को ही पता नहीं है. उन्हें ये पता है कि इंटरनेट आ रहा है ताकि लोगों को योजना के बारे में बताया जा सके.

राष्ट्रपति राममाथ कोविंद ने बजट से पूर्व अपने अभिभाषण में डिजिटल इंडिया का जिक्र किया है. राष्ट्रपति ने डिजिटल इंडिया की उपलब्धि गिनाई है. उन्होंने कहा है कि 2014 में देश में सिर्फ 59 ग्राम पंचायतों तक ही डिजिटल कनेक्टिविटी पहुंच पाई थी. आज 1 लाख 16 हजार ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फायबर से जोड़ दिया गया है और लगभग 40 हजार ग्राम पंचायतों में वाईफाई हॉट स्पॉट लगाए गए हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि ग्रामीण इलाकों में सर्विस पहुंचाने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर्स तेजी से बने हैं. इन केंद्रों में बैंकिंग से लेकर बीमा और पेंशन से लेकर स्कॉलरशिप जैसी सुविधाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही हैं.

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राष्ट्रपति के मुताबिक 2014 में देश में सिर्फ 84 हजार कॉमन सर्विस सेंटर थे, लेकिन अब ये तेजी से बढ़ें हैं और ये तीन लाख से ज्यादा हो गए हैं. उन्होंने डेटा सस्ते होने पह कहा है कि अब लोगों को कम दर पर ज्यादा डेटा मिल रहा है. 2014 में जहां 1 जीबी डेटा की कीमत लगभग 250 रुपये होती थी अब वो घटकर 10-12 रुपये हो गई है. इसी तरह लोगों को मोबाइल पर बात करने में ज्यादा पैसे खर्च होते थे वो अब आधे से भी कम हो गए हैं.

जुलाई 2018 में पीएम मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया इनिशिएटिव से देश में 3 लाख जॉब्स बने हैं और सिटिजन जागरूक हुए हैं. पीएम ने कहा है कि 3 लाख कॉनम सर्विस सेंटर का नेटवर्क तैयरा किया गया है जिन्हें डिजिटल सर्विस डिलिवरी का ऐक्सेस प्वॉइंट के तौर पर यूज किया जाता है.  डिजिटल इंडिया के बारे में पीएम मोदी का कहना है कि डिजिटल एंपावरमेंट का हर ऐस्पेक्ट काम कर रहा है. इनमें गांवों में फाइबर ऑप्टिक्स बिछाने से लेकर डिजिटल लिटरेसी तक शामिल है. 

मोबाइल फोन यूजर्स में तेजी से ग्रोथ देखने को मिली है. केंद्रिय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक ट्वीट किया था. इसके मुताबिक जून 2014 में भारत में 90 करोड़ मोबाइल यूजर्स थे जो मार्च 2018 में बढ़ कर 121 करोड़ हो गए हैं.

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आधार की बात करें तो ये भी तेजी से बढ़ा है और अब काफी लोगों ने अपना आधार कार्ड बनवा लिया है. 31 मार्च 2018 तक 120.7 करोड़ आधर एनरॉलमेंट हुए है. जबकि मई 2014 में ये आंकड़ा 63.22 करोड़ ही था.

मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी के.जे अलफॉन्स ने लोकसभा को दिए एक लिखित जवाब में कहा है कि 15 फरवरी 2018 तक देश में 89.2 फीसदी लोगों को आधार इश्यू कर दिए गए हैं.

डिजिटल साक्षरता अभियान (DISHA) की बात करें तो इसका मकसद 2020 तक हर फैमिली में से कम से कम किसी एक को डिजिटल साक्षर बनाना है. 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत को वाईफाई से जोड़ना और ब्रॉडबैंड मुहैय्या कराना है.

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