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Facebook अब यूजर्स को वॉयस रिकॉर्डिंग करने पर देगा पैसा, ये है वजह

टेक कंपनियां आज कल वॉयस रिकग्निशन पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं. बताया जा रहा है कि स्पीच रिकॉग्निशन को इंप्रूव करने के लिए यूजर्स की आवाज रिकॉर्ड करना जरूरी है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST

सोशल नेटवर्किंग कंपनी Facebook अब यूजर्स को वॉयस रिकॉर्डिंग के लिए पैसे देगा. दरअसल कंपनी वॉयस रिकॉग्निशन टेक्नॉलजी को इंप्रूव करने के लिए ऐसा कर रही है. डेटा प्राइवेसी को लेकर फेसबुक की कारगुजारी किसी से छुपी नहीं है, इसलिए ये कहना मुश्किल है कि इसके पीछे की मंशा क्या है.

गौरतलब है कि Amazon, Google, Apple, Amazon और Microsoft ने भी स्पीच रिकॉग्निशन के नाम पर लोगों की वॉयस रिकॉर्डिंग्स सुनी हैं. ये यों कहें कि इन्हें ऐसा करते हुए पकड़ा गया है. हालांकि बाद में इन्होंने सफाई दी कि ऐसा वॉयस रिकॉग्निशन को इंप्रूव और सटीक बनाने के लिए किया जा रहा है.

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फेसबुक ने प्रोननसिएशन नाम का एक प्रोग्राम शुरू किया है. ये ऑप्शन फेसबुक के व्यूप्वॉइंट मार्केट रिसर्च ऐप में होगा. फेसबुक के मुताबिक अगर आप इस प्रोग्राम के लिए क्वॉलिफाई करते हैं तो आप अपनी वॉयस रिकॉर्ड कर सकते हैं.

वर्ज की एक रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक ने कहा है कि वॉयस रिकॉर्ड करने क लिए Hey Portal के बाद अपने फेसबुक फ्रेंडलिस्ट के फ्रंट का पहना नाम बोलना होगा. आप 10 दोस्तों को नाम ले सकते हैं और हर स्टेटेमेंट को दो बार रिकॉर्ड करना होगा.

एक सेट रिकॉर्डिंग पूरा करने के बाद आपको Viewpoints ऐप में 200 प्वाइंट्स मिलेंगे. हालांकि जब तक आप 10000 प्वॉइंट्स पूरे नहीं कर लेते हैं तब तक आपको पैसे नहीं मिलेंगे.

ट्रांजैक्शन PayPal के जरिए किया जाएगा और रिवॉर्ड के तौर पर इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने वाले यूजर्स को 5 डॉलर मिलेगा. फेसबुक के मुताबिक यूजर्स को पांच सेट रिकॉर्डिंग का मौका मिल सकता है यानी आप 1000 प्वॉइंट्स कमा सकते हैं.

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रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक का कहना है कि यूजर्स द्वारा दिए गए वॉयरस रिकॉर्डिंग को उनके फेसबुक प्रोफाइल के साथ कनेक्ट नहीं किया जाएगा. पॉलिसी के मुताबिक कंपनी अपने Viewpoints की ऐक्टिविटी फेसबुक या फिर फेसबुक के दूसरे प्लेटफॉर्म पर बिना यूजर्स के इजाजत के शेयर नहीं करती है.

फिलहाल प्रोननसिएशन का ये प्रोग्राम अमेरिकी यूजर्स के लिए है. इसके लिए यूजर्स के फ्रेंडलिस्ट में कम से कम 75 लोग होने चाहिए. भारत और दूसरे मुल्कों में ये प्रोग्राम कब से शुरू किया जाएगा, या नहीं किया जाएगा कंपनी ने इस बात की जानकारी नहीं दी है.

इस रिपोर्ट के बाद उम्मीद है एक बार फिर से प्राइवेसी को लेकर फेसबुक पर कुछ सवाल उठेंगे.

 

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